Aashanya Anuradha   (Anuradha Yadav)
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अगर मगर और काश में हूं,मै खुद अपनी तलाश में हूं
Joined 29 January 2020


अगर मगर और काश में हूं,मै खुद अपनी तलाश में हूं
Joined 29 January 2020
8 APR 2022 AT 21:41

गर सौभाग्यवश ,उसने लिया जन्म।
पैदा होते ही बांध दी गई, बेरियां अनंत।।
जब मालूम भी न था उसे अर्थ मर्यादा का।
समझा दी गई तभी उसे कायदा समाज का।
बता दी गई उसे उसकी सीमाओं की परिभाषा।
घर की चौखट और दबा के रखो अपनी अभिलाषा।।
स्वाभिमान को बांध फेक दो,किसी अंधेर कोने में,
पुरुषों की डांट और दुत्कार जैसे आभूषण सोने के।
सर्वस्व लुटाकर,खुद को ही दोषी ठहराकर,ऐसे ही रहना तुम
स्त्री की यही नियति,जानकर स्वयं के अरमानों के ढेर पर बैठ रोना तुम।
पर ध्यान रहे,ये सब खुद ही खुद में सहना तुम।
समाज की इस मिथ्या मर्यादो को ढोते ढोते नितप्रतिदिन मरना तुम

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24 SEP 2021 AT 21:52

Was Tired of living my life according to other's choices and happiness.
Now, It's just me,my life my rules,and my dreams...and now I don't know any limitations nd restrictions.

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26 APR 2021 AT 8:40

ये उलझनें है इक फलसफा जिंदगी का।
ये गर्दिश-ए-अय्याम है इक लहजा जिंदगी का।।
ये सुख-दुख उलटफेर है महज इक बखरा जिंदगी का।
आखिर जहां होती है खत्म हर कहानी,वहीं है इब्तिदा जिंदगी का।।

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16 MAR 2021 AT 23:30

हम अपनी पूरी जिंदगी गलत बातों पे,गलत के पक्ष में,गलत के लिए,गलत से,गलत वक्त पर,गलत तरीके से,लड़ते हुए गुजार देते है।।
और सही या सच्चाई एक कोने में दबी दम तोड़ देती है।।

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16 NOV 2020 AT 10:59

अतीत के उस अंत का
तू एक नया प्रारंभ है
क्यू बैठे हो शोकित मन से
टूटे स्वपन का शोर लिए
क्यू बैठे हो क्षोभित होकर
उन बातों का मोल लिए
जो बीत गया वो कल था
जो आएगा वो कल है।
फिर क्यूं बैठे हो दुविधा में
अतीत चिर कलांत हुए




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16 NOV 2020 AT 9:55

क्यूं बैठे हो किंचित होकर,
बीते कल का बोझ लिए
क्यू बैठे हो बोझिल मन से
आज अश्रु का घूंट पिए
जो बीत गया वो कल था
वो अंत नहीं आरंभ था
आनेवाले हर कल का,
वो बस एक प्रतिबिंब था,
तू उठ,और आगे बढ़
एक नया संकल्प लिएl
तू चल एक बार फिर चल
एक नया विकल्प लिए
गुजरे कल को अभिलंब बना
तू एक सुनहरा भविष्य सजा
_continued

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21 OCT 2020 AT 20:00

आज मेरी शिकायतें तुमसे,उससे या किसी और से नहीं
वकायदा आज रूठे तो हम,खुद अपने आप से है।।

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21 SEP 2020 AT 21:15

ना मानू़ंं मै कभी हार
फिर भी हर बार
ये दिल कहता है कि
मै कमजोर हूं
ना छोरू मै कभी जीतने की आस
फिर भी कभी ए काश
जो ये दिल कहता कि
मै मजबूत हूं
ना मै बिखरू कभी टूटे ख्वाब सा
फिर भी ना जाने क्यूं
हर बार ये दिल कहता है
की मै कमजोर हूं

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18 SEP 2020 AT 21:20

The time when you Realise..That particular thing which is going on in ur life is changing the real you..get out of all those things ASAP & You will definitely feel relieved and relaxed at that moment.

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15 SEP 2020 AT 0:05

तुम सिर्फ हमारी फिक्र में नहीं
अब तो हर ज़िक्र में हो

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