ज़िंदगी तू चलती रह, तुझसे अब सवाल कैसा,
जब वक्त पे सबकुछ छोड़ा है, तो फिर मलाल कैसा,
बड़ी मशक्कतो से सुलझते हैं उलझे रिश्ते,
सुलझाने में गर टूट जाए..,तो फिर बवाल कैसा,
परेशान हूं खुद में ही खुद से आजकल,
गैरों की छोड़ो अपने भी नहीं पूछते हैं, है हाल कैसा?
ज़िंदगी तू चलती रह, तुझसे अब सवाल कैसा.....
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