तुम्हारी याद मेरे दिल को कुछ ऐसे दुखाती हैं!
ना मुझको चैन आता है, ना मेरी जान जाती है!!
ना खुद को होश रहती है, ना दुनिया की ख़बर कोई!
तुम्हारी याद यूँ ज़ज्बात "का तूफ़ान लाती है!!
मैं बरहम होके फिरता हूँ, ना जीता हूँ ना मारता हूँ!
कदम भी लड़खड़ाते हैं, ज़बां भी कांपती हैं!!
ऐ कैसा ज़ख्म हैं, जिसका कोई मरहम नहीं मिलता!!
मेरी हर साँस आते जाते मेरा दिल जलती है!
अब तो तंग करते हैं, शहर के लोग भी मुझ पर!
तुम्हारा नाम ले ले के मुझे दुनिया सताती है!!
मेरे तो घर के दीवारें भी करती हैं, सरगोशी *!
दीवाना हो गया तू बस यही आवाज़ आती है!!
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