मुस्कराने की वजह जरूरी नहीं
कुछ लोग यूं भी मुस्करा लेेते हैं,
बस अपने लिए, हालांकि लोग
खुशामद उन्हीं की करते हैं जो
थोवडा शरद् पवार या ललिता
पवार सा बना रखते हैं, फिर भी!
मुस्कुराना... शब्द से गहरा जवाब है,
चिढ़ाने या रोने के लिए उकसाने वालों
के लिए । इसलिए......
जो दिल दुखाये उसके लिए मुस्कुरा दो।
जो रुलाना चाहे उसे आँसू की तरह अपनी
नजरों से गिरा दो।
Keep smiling always 😊
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गिरगिट अपनी जरूरत के हिसाब से
अपना रंग बदलता है,ताकि भ्रमित कर सके।
विषबेल जिस पेड़ के सहारे ऊपर उठती है
उसी को सुखा देती है,और पेड़ उससे जड़ का
रिश्ता निभाता रहता है कि हम दोनों एक ही
धरती से जन्मे और एक ही सूरज से बढ़े हैं।
क्योंकि पेड़ को अपने डाली पत्तों से ज्यादा
प्यारा जड़ का रिश्ता है-
जो लोग दूसरों की गलतियों को याद करके
खुद को दूध का धुला समझते हैं, असल में
धुलाई की जरूरत उन्हीं को होती है,
Happy new year inadvance
😀-
एक को साधे सब सधे,सब साधे सब जाए ❌️
एक को साधे सबके बुरे,
सब साधे भी सबके बुरे।
वो ही है सबका भला जो
खुद तो खुद को साधे,
सबसे भी खुद को सधवाय ✅️-
या तो हालातों के हल मिल जाते हैं।
या हालातों में हम ढल जाते हैं ।
फिल्म नहीं है जिंदगी कि पसंद नहीं आई
तो इंटरवल में खिसक लिए,
पूरी देखनी है क्लाइमैक्स तक-
पराश्रित होना क्या होता है ?
कि एक औरत का आत्मसम्मान भी
उसके पति के साथ का ....
मोहताज होता है-
शरीर के कारण मृत्यु नहीं होती।
मृत्यु तब होती है जब जीने की इच्छा
मर जाती है। और विडंबना देखिए कि
जीने की इच्छा को वही मार देते हैं ...
जिनके लिए इंसान जीना चाहता है।-
Karma
दाने दाने को तरसाने की धमकी देने वाले
एक दिन खाना देने लग जाते हैं,
अपनी सुविधा अपनी जरूरत के अनुसार
लोग अपना चरित्र बदल लेते हैं, क्योंकि
कोई तो गधा चाहिए बोझ उठाने के लिए ,
कोई तो पावर चाहिए सबको दबाने के लिए।
एक ने झुककर अटेंशन ले ली तो जलन हो गई ,
उनको जो झुका कर अटेंशन लेना चाहते हैं ,
मेरे घर का धुआं देखकर फूल रहे थे जो ,
भूल गए कि आग ये उन्हीं के घर की है।
दूध पिलाकर सांप को पाल रहे थे जो,
भूल गए कि एक दिन यह डसेगा उनको भी।
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फर्क नहीं पड़ता कि कौन छोटा है या बड़ा है,पढ़ा है या कम पढ़ा है,गरीब है या अमीर है ,आदमी है या औरत है। जो जितनी ज्यादा गंद फैलाना जानता है, गोबर पंथी ,उछलकूद,कांड,हगोड़पंथी करता है, वह उतनी ही ज्यादा अटेंशन पाता है ,उसे उतना ही ज्यादा भाव और लाभ मिलता है, उसे उतना ही ज्यादा मासूम और बेचारा समझा जाता है।जो अपनी सुविधा के अनुसार अपना रंग बदलना जानता है
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भाभी सीता,देवर लक्ष्मण,
मगर देवरानी ज़हर।
बड़ी बहन सीधी सादी,
छोटी बहन चंट।
बडी बहू जिगर का टुकड़ा,
छोटी बहू तालिबान।
समाज, परिवार अपनी पहले से
बनाई हुई सोच की लकीर पर ही
चलता है।और फिर पूरा झुंड मिलकर
ऐसे हालात पैदा करता है कि उनकी
अपनी सोच ही सही सिद्ध हो जाए।
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