Aarya Shesham  
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Abiotic⚰️💐🌱

For the love of writing...
I write✍️❤️🌾🌱🌾☘️🌹
Joined 15 May 2020


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Joined 15 May 2020
29 MAY 2020 AT 14:09

थम जाता हर पल बहता ,
बस 'मौन' जहाँ सब कुछ कहता !!

अब यहाँ भी पल है थमा हुआ , खामोशी ही आवाज़ें हैं ,
तू कभी तो मुड़कर देख मुझे ! ये मैं नहीं , तेरी यादें हैं !!

है याद मुझे वो पहली सूरत , जो थी आढ़ में ज़ल्फ़ों के !
है याद मुझे वो हँसी तेरी , जो महक उठी थी हल्के से !
वो अधरों की पंखुड़ियों का मीठे शब्दों के संग खिलना !
उस शुभ्र-निर्झरी वाणी से अंतस् तक अमृत का घुलना !

है याद मुझे हर धड़कन तेरी ! फिर , क्यूँ अब सन्नाटे हैं ?!
तू कभी तो उनसे पुनः मिला ! वो तू नहीं , मेरी साँसें हैं !!

ऐ खुदा ! के तू भी देख ! यहाँ हर ज़र्रा-ज़र्रा पूछ रहा !
औ' पूछ रहा हूँ मैं भी के - ये प्यार मेरा क्यूँ जूझ रहा ??
क्या ख़ता मेरी, जो ख़फ़ा है तू ! औ' ख़फ़ा है 'वो' भी उल्फत से !
है पता नहीं क्या रज़ा तेरी! क्या रज़ा तेरी है अब मुझसे !!

जो भी हो, यह बात तुझे मैं आज बताए देता हूँ !
अपने धड़कन के लफ्ज़ तुझे मैं अभी सुनाए देता हूँ !

तू देख इन्हें , ये चीख़ रहे हैं- और सता चाहे जितना ;
तू लगा रह अपने मक़सद पर! मैं भी हूँ तेरी ही रचना !!

तब तक ना हार चुनूँगा मैं-
जब तक के दूर वो बाँहें हैं !
के तू भी इनको परख़ ही ले !
ये मैं नहीं , मेरी चाहें हैं !!

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28 JUL 2021 AT 8:12

मैं हूँ यहाँ तन्हा मेरी जाँ,
ख्वाब तेरे हैं यहाँ !
मुझे डर है मेरे ख्वाबों से,
कहीं तू ही मुझको जगा न दे !!

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1 JUL 2021 AT 20:30

एक चिता, अधोमुख शव रखा था,
मेरा, मैंने देखा है!
हर भाव विकट विश्रान्त पड़े थे,
शब्द निःशब्द हो वहीं धरे थे,
क्षुधा में कोई क्षोभ नहीं था,
चित्त शून्यवत व्याप्त कहीं था,
व्यक्त-अव्यक्त-अतीत अचिंतन
आनंद उत्स था! मैं ही शिव था!!

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23 MAR 2021 AT 21:47

मेरा छलावा संसार है
और मेरी वास्तविकता...तुम !

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17 FEB 2021 AT 23:16

यूँ न होता कि महफ़िल-ए-वफ़ा याद करे हमें
आज बड़ी शिद्दत से मिल रहे!
कोई बेवफाई हुई है क्या ?

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16 FEB 2021 AT 9:43

अब सज़ा मिली है जीने की,
सो ज़िंदा हैं हम! मर कर ही सही

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15 FEB 2021 AT 21:26

यूँ लहू कीमती था मेरा, हम भी कभी नायाब थे
आँखों ने जो छलका लहू,
हम मुफ्त में ही लुट गए

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11 NOV 2020 AT 20:51

मेरे दिल का हर एक ज़ख्म मेरे दर्द की ज़ुबान है.
मत छीन मुझसे लब मेरे, ये ज़ख्म तो पहचान हैं
एक आशना, एक हमसफ़र, एक हम-नफ़स, हमराज़ के..
जो शौक़ में हो बेख़बर मेरे क़त्ल से अनजान है !!

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10 NOV 2020 AT 9:43

हम दूर ही से ताकते रहे उस चाँद को बेबस हो कर..
सब कुछ पूरा था मगर ज़ीस्त आधा लगा

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5 NOV 2020 AT 16:22

मुकम्मल है हयात मेरी मेरी जानिब से
तमाशा मौत का ही सही
फ़क़त मेरा होगा

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