आरती गोस्वामी   (©®✍️आरती अक्षय गोस्वामी)
268 Followers · 74 Following

read more
Joined 28 January 2018


read more
Joined 28 January 2018

कहीं मंदिरों में देवी तुल्य पूजी जाती हैं ,
कहीं जन्म से पहले ही मार दी जाती हैं ,
कहीं ये विमानों की सवारी कर रही होती हैं ,
कहीं दहेज रूपी दानवों की भेंट चढ़ जाती हैं ,
कहीं देश समाज का प्रतिनिधित्व कर रही होती हैं ,
कहीं ख़ुद के ही घर में अपनों द्वारा ही दबा दी जाती हैं ,
कहीं आने वाले पीढ़ी का सृजन करती हैं ,
कहीं ये भेड़ियों से भी नहीं बच पाती हैं ,
ये नारियाँ युगों युगों से आजतक भटकती हुई आईं हैं ,
त्रेता से कलियुग तक अपना अस्तित्व तलाशती आईं हैं ।।

-



हे भारत माता के वीर सपूतों तुम्हें नमन है ,
हे सीमाओं के अड़िग प्रहरी तुम्हें नमन है ।
अपने रक्त से करते श्रृंगार तुम माँ माटी का ,
गौरव सदा बढ़ाते आए बलिदानी थाती का ।
राष्ट्र प्रथम का ध्येय लिए अपना जीवन जीते ,
निजस्वार्थ तजकर वसुंधरा के ये घाव हैं सीते ।
प्रतिकूल परिस्थितियों में सीमाओं पर खड़े हैं ,
रक्षा हेतु देश की बन प्रहरी शैलराट से अड़े हैं ।
निज प्राण आहूत करके कर्तव्य अपना निभाते ,
मातृभूमि का बन गौरव मान राष्ट्र का हैं बढ़ाते ।
संकट कोई भी आ जाए , पथ से ये हटते नहीं ,
मातृभूमि पर मरने वाले वीर कभी मिटते नहीं ।
भारती की आरती में निजभाल अर्पित कर देते ,
हर रिश्ते को जन्मभूमि पर समर्पित हैं कर देते ।
शीश नहीं झुकने देते भले बिन शीश वापस आ जाते ,
अंतिम श्वांस तक लड़ते फिर औढ़ तिरंगा आ जाते ।।

-



उर में जला ज्वाल राष्ट्रभक्ति की अभिमान बढ़ा दिया परिणय माला का ,
हो गया साया भी दूभर शत्रु को जब इक इक चित्तौड़ की बाला का ,
तरस गया था खिलजी तब पाने को एक झलक माँ पद्मावती की ,
होम कर दिया नश्वर तन को वरण कर लिया था जौहर ज्वाला का ।।

-



जब तक भागीरथी की लहरें कल कल छल छल गुंजार करे ,
कोटि कोटि भारत पुत्रों के उर में देशभक्ति ज्वाल अंगार धरे ,
अंबर तक लहरा आए तिरंगा सम्मुख अरि के ललकार भरे ,
तब जय जय हिन्दुस्तान करे जय जय भारत हुंकार भरे ।।

-



सुप्त होते जा रहे स्वाधीनता मर्म हेतु ,
जन्मभूमि कर्मभूमि खातिर कर्म हेतु ,
नकार दिए चर्बी से बने हुए कारतूस ,
मंगल पांडे ने अपने सनातन धर्म हेतु ।।

-



एकलिंग जी का कृपापात्र महाँकाल का रोष वही है ,
सिंह की दहाड़ वही विजयनाद का भी उद्घोष वही है ,
भगवा परचम लहराता हिन्द का वह दिनमान हिंदुआ ,
अरि दल में हाहाकार मचा दे प्रतापी जयघोष वही है ।।

-



मान ही जब गुनहगार हमें ,
तो कोई भी दलील क्या देते ।

-



माँ पन्ना के दीपदान की ,
हाड़ा रानी बलिदान की ,
यहाँ प्रतापी रक्त समाया ,
यह धरती राजस्थान की ।।

मीरा रानी के प्रेमगान की ,
बप्पा रावल गौरवगान की ,
है जौहर का शौर्य समाया,
यह धरती राजस्थान की ।।

हल्दीघाटी स्वाभिमान की ,
अजयमेरु पुष्कर मान की ,
पोखरणी विष्फोट समाया ,
यह धरती राजस्थान की ।।

-



भस्मीभूत के आँगन में
जीवंत हो उठी रंगोली है ,
क्षिप्रा तट पर अवंतिका में
महाँकाल की होली है ।।

-



चन्द्रमौलि जटाजूटधारी बाघाम्भरधारी का विवाह है ,
मशानवासी भस्मीभूत हर गणाधिकारी का विवाह है ,
अद्भुत अतुलनीय वर की ये आज बारात है सजी हुई ,
त्रिनेत्रधारी विरुपाक्ष कण्ठ हलाहलधारी का विवाह है ।।

भुजंग भूषण महारुद्र महा विकराल का विवाह है ,
अनाथों के नाथ शिव दुखियों के भाल का विवाह है ,
शक्ति का वरण करने हेतु ये आज बारात है सजी हुई ,
औघड़दानी कालों के काल महाकाल का विवाह है ।।

-


Fetching आरती गोस्वामी Quotes