कोई अंतर नहीं सांवरे...
मेरे प्रेम करने में...
और तुमसे प्रेम पाने में....
क्योंकि
दोनों में "प्रेम" ही वो सीढी है..
जो तुम से मुझ तक आती है!-
एक चुप्पी में हजारो शोर झुपा कर,
वो शख्स सन्नाटों का बादशाह बन गया!-
आँखें बेबस कुछ तकती रहती,
न विचार कोई आए है...
जिस्म बस गलता जाए यहाँ,
मर्ज नज़र न आए है!
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खोज कर भी कहाँ शब्द मिल पाते है!
आपको लिखते ही मुझसे शब्द रूठ जाते है,
जब तुम ही अर्थ हो मेरी वजदूद का,
तो क्या लिखने को जज्बात तरस जाते है?
©Aarti_singh✍🏻-
सुनो जलना शेष है...
उसे जला ही दो
तपिश सह लेगा अब,
जिस्म पिघला भी दो
नहीं है आयने यहाँ,
उसे खुद से मिला भी दो,
कहीं देर न हो जाए,
मुर्दा है...आग लगा भी दो!!!
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बैठ कर तेरे पास एक ख्वाब लिखना चाहती हूँ
काली रातों में तेरा साथ एक लिखना चाहती हूँ
तेरे पास बैठ तेरे तसव्वुर की छाव में,
मेरे चाँद को एक नया चाँद लिखना चाहती हूँ....!!!-
रात के आग़ोश में अब जागने की तमन्ना है,
तुम्हें बाहों भरकर अब जीने की तमन्ना है,
सभी हसरतें अब एक-एक करने जगने लगी,
तुम सा कोई नहीं यह धड़कन भी कहने लगी।-
जब-जब मैंने तुम्हे लिखा,
लोगों ने मुझे भी प्रेमिका कहा।
तो आओ गिरधर गले लगा लो,
हमें भी अपना अंग बना लो।।-
तुम मेरा एक अंश नहीं जानते,
मैं तुम्हारी परछाई तक आंकती हूँ
कहने को कुछ नहीं पास तुम्हारे,
और मैं तुम्हारी मौन भी जानती हूँ!-
हर एक जर्रा-जर्रा खर्च किया तुम पर,
अब मैं भी...तुम संग...तुम हो गई!!!-