Aarti Singh   (©Aarti Singh✍🏻)
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Joined 1 May 2019


Joined 1 May 2019
16 OCT 2021 AT 20:37

कोई अंतर नहीं सांवरे...
मेरे प्रेम करने में...
और तुमसे प्रेम पाने में....
क्योंकि
दोनों में "प्रेम" ही वो सीढी है..
जो तुम से मुझ तक आती है!

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4 OCT 2021 AT 17:54

एक चुप्पी में हजारो शोर झुपा कर,
वो शख्स सन्नाटों का बादशाह बन ग‌‌‌या!

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27 SEP 2021 AT 14:02

आँखें बेबस कुछ तकती रहती,
न विचार कोई आए है...
जिस्म बस गलता जाए यहाँ,
मर्ज नज़र न आए है!

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9 MAY 2021 AT 17:13

खोज कर भी कहाँ शब्द मिल पाते है!
आपको लिखते ही मुझसे शब्द रूठ जाते है,
जब तुम ही अर्थ हो मेरी वजदूद का,
तो क्या लिखने को जज्बात तरस जाते है?

©Aarti_singh✍🏻

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2 MAY 2021 AT 9:12

सुनो जलना शेष है...
उसे जला ही दो

तपिश सह लेगा अब,
जिस्म पिघला भी दो

नहीं है आयने यहाँ,
उसे खुद से मिला भी दो,

कहीं देर न हो जाए,
मुर्दा है...आग लगा भी दो!!!

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1 FEB 2021 AT 13:34

बैठ कर तेरे पास एक ख्वाब लिखना चाहती हूँ
काली रातों में तेरा साथ एक लिखना चाहती हूँ
तेरे पास बैठ तेरे तसव्वुर की छाव में,
मेरे चाँद को एक नया चाँद लिखना चाहती हूँ....!!!

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17 NOV 2020 AT 21:15

रात के आग़ोश में अब जागने की तमन्ना है,
तुम्हें बाहों भरकर अब जीने‌ की तमन्ना है,
सभी हसरतें अब एक-एक करने जगने लगी,
तुम सा कोई नहीं यह धड़कन भी कहने लगी।

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10 NOV 2020 AT 8:37

जब-जब मैंने तुम्हे लिखा,
लोगों ने मुझे भी प्रेमिका कहा।
तो आओ गिरधर गले लगा लो,
हमें भी अपना अंग बना लो।।

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9 NOV 2020 AT 21:44

तुम मेरा एक अंश नहीं जानते,
मैं तुम्हारी परछाई तक आंकती हूँ
कहने को कुछ नहीं पास तुम्हारे,
और मैं तुम्हारी मौन भी जानती हूँ!

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1 NOV 2020 AT 18:40

हर एक जर्रा-जर्रा खर्च किया तुम पर,
अब मैं भी...तुम संग...तुम हो गई!!!

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