सुनो, तुम अपनी धुन में चलना
खुद को औरों से मत तोलना
गलती करोगे, अगर किसी और
की राय पर खुद को तोलोगे
अक्सर लोगों की राय और सोच
बदल जाती है, जब बात
उनकी औलाद पर आती है ।
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कबूल है मुझे
कीचड़ में लिपटे पैर,
क्यों कि बारिशों में भीगना मुझे पसंद है।
कबूल है मुझे
जिंदगी में पतझड़ का मौसम,
क्यों कि सावन की हरियाली मुझे पसंद है।
कबूल है मुझे
तुम्हारी बेपरवाही,
तुम्हारी आगोश ए मोहब्बत मुझे पसंद है।-
गलत और सही का फ़र्क समझना चाहती थी मैं
समझाने वाले की तलाश अभी भी जारी है-
आईये चलते है २०२१ में
नई सोच लेकर ,नया जोश लेकर
उम्मीदों को आंखों में संजोकर
नए ख्वाबों की फिर से उड़ान भरनी है
जीना है ये साल अपने अनोखे अंदाज में
दिल में बेशुमार इंन्तज़ाम लेकर
डगमगाना नहीं है हमें, चलेंगे हम ये ठान कर
स्वागत करेंगे खुली बाहों से नए परिवर्तन का
जिएंगे और जीने देंगे वादा है हमारा ये आपको
नया साल मुबारक हो-
हम वादा तो नहीं करते जिदंगी कि तुझे जीयेंगे
पर ये वादा करते हैं कि तुझे मरने नहीं देंगे।-
मेरे विचारों और मेरे व्यवहार में अक्सर द्वंद्व युद्ध चलता रहता है
मेरे विचार जितने स्वछंद होते जा रहे है
उतना ही मेरा व्यवहार संकुचित होता चला जा रहा है
मेरे विचार बहते पानी की तरह है जो बाधाओं से नहीं डरते
और समय के साथ साथ हर परिवर्तन को स्वीकार करते है
मेरा व्यवहार खोखली मर्यादाओं, बेबुनियाद नियमों में धसा सा रह गया है
उसे हजारों साल पुरानी परंपराओं का निर्वाह करना पड़ता है
डर ये है कि अगर
पालन नहीं किया तो धरती माता अपना सीना चीर देगी
और करोड़ों महानुभाव धरती में समा सकते है
और शायद प्राकृतिक व्यवस्थाएं भी उथल- पुथल हो जाए
जानती भी हूं
आपातकालीन परिस्थितियों में मेरा व्यवहार ही काम में आना है
फिर भी ना जाने क्यों लाख कोशिशों के बावजूद
मेरे विचारो और मेरे व्यवहार में तालमेल नहीं बन पा रहा है
विचार पूरे स्वाभिमानी है, और स्वामीभक्त भी है
अगर अंतरात्मा का आदेश मिले तो व्यवहार से मित्रता कर ले
और व्यवहार तो बेचारा सदियों से गुलाम रहा है
लड़े भी तो किससे?
उसे उसकी हदें समझाने वाले भी तो अपने है
जितना लड़ेगा उतना खुद को घायल करता जाएगा।-
ज़रूरत में सहारा बन कर देखिए
कई बार खुशियां दूसरे के दरवाज़े से होकर आती है
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ख्यालों से पूछो हक़ीक़त का रास्ता किधर है
हकीकत के कदमों के निशान अक्सर ख़यालो में मिलते है
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छोड़ आईं हूं उम्मीदों की गलियां
अब किसी की उम्मीद पर खरी नहीं उतरूंगी मैं
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अक्सर जो हम लिखते है
वो हमारी जिंदगी का हिस्सा नहीं होता
वो होता है सिर्फ़...
जो हम होना चाहते है
लेखन ख़यालो की दुनियां है
हक़ीक़त से कोसो दूर
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