Aarti Pareek   (Aarti pareek "अश्वि")
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बस यूं ही लिखती हूं, कभी कभी सब में खुद को टटोलती हूं।
Joined 30 April 2020


बस यूं ही लिखती हूं, कभी कभी सब में खुद को टटोलती हूं।
Joined 30 April 2020
7 AUG 2022 AT 12:01

सुनो, तुम अपनी धुन में चलना
खुद को औरों से मत तोलना

गलती करोगे, अगर किसी और
की राय पर खुद को तोलोगे

अक्सर लोगों की राय और सोच
बदल जाती है, जब बात
उनकी औलाद पर आती है ।

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20 JUL 2021 AT 14:19

कबूल है मुझे
कीचड़ में लिपटे पैर,
क्यों कि बारिशों में भीगना मुझे पसंद है।
कबूल है मुझे
जिंदगी में पतझड़ का मौसम,
क्यों कि सावन की हरियाली मुझे पसंद है।
कबूल है मुझे
तुम्हारी बेपरवाही,
तुम्हारी आगोश ए मोहब्बत मुझे पसंद है।

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10 MAY 2021 AT 3:33

गलत और सही का फ़र्क समझना चाहती थी मैं
समझाने वाले की तलाश अभी भी जारी है

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1 JAN 2021 AT 0:02

आईये चलते है २०२१ में
नई सोच लेकर ,नया जोश लेकर
उम्मीदों को आंखों में संजोकर

नए ख्वाबों की फिर से उड़ान भरनी है
जीना है ये साल अपने अनोखे अंदाज में

दिल में बेशुमार इंन्तज़ाम लेकर
डगमगाना नहीं है हमें, चलेंगे हम ये ठान कर

स्वागत करेंगे खुली बाहों से नए परिवर्तन का
जिएंगे और जीने देंगे वादा है हमारा ये आपको

नया साल मुबारक हो

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24 OCT 2020 AT 22:27

हम वादा तो नहीं करते जिदंगी कि तुझे जीयेंगे
पर ये वादा करते हैं कि तुझे मरने नहीं देंगे।

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8 SEP 2020 AT 14:24

ख्यालों से पूछो हक़ीक़त का रास्ता किधर है
हकीकत के कदमों के निशान अक्सर ख़यालो में मिलते है

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31 AUG 2020 AT 16:05

छोड़ आईं हूं उम्मीदों की गलियां
अब किसी की उम्मीद पर खरी नहीं उतरूंगी मैं

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31 AUG 2020 AT 15:14

अक्सर जो हम लिखते है
वो हमारी जिंदगी का हिस्सा नहीं होता
वो होता है सिर्फ़...
जो हम होना चाहते है
लेखन ख़यालो की दुनियां है
हक़ीक़त से कोसो दूर

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24 AUG 2020 AT 16:05

बात करूं या रूठ जाऊं
मनाओगे या मुस्कुरा जाऊं

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21 AUG 2020 AT 23:43

मैं मस्तियों में मग्न था
झूम रहा था
भागे जा रहा था
तुम मिली और
मैं ठहर गया
लगा कि जैसे
शोर से भरे इस मन को
सुकून मिल गया हो
दिल में शांत लहर
हिलोरे ले रही थी
बस अब तुम्हारे साथ
चलना चाहता हूं

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