Aarti Negi   (Aarti❤)
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Medicine is my life,
Poetry is heart
#Medico❤
Joined 7 October 2019


Medicine is my life,
Poetry is heart
#Medico❤
Joined 7 October 2019
13 SEP 2021 AT 23:40

We all are lost souls
struggling to just live
finding solace in internet
wandering alone

We also love starry nights
like 18th century lovers
they made their love
& we're hiding our pain
in those nights
crying alone

We also write
as love rises in the poetry
instead of love
pain rests
in our torn pages
of that beautiful diary
mom gifted on 16th birthday
as she found
sleeping me all day long
in the darkest room.

Here I'm
writing in full moon light
still carrying the dark
from there in my heart......

~Aarti

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25 APR 2021 AT 21:23

शब्दों की बेड़ियाँ टूटने को बेताब हैं,
.
.
.
कह दो तूफानों से, इस बार नज़ाकत से आए।

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9 AUG 2020 AT 9:05

कहती थी न मै की मै नहीं लिखती हूँ किसी अपने के लिए
तुम हर वक्त जिद्द करते थे की तुम लिखती हो, पर मेरे लिए नहीं, और मैं हर वक्त कहती थी की आसान नहीं की लिखुं तुमको
और लिखा भी अगर तो न जाने अंजाम क्या होगा
तुम नहीं जानते की मेरा सुकूँ हैं ये शब्द, और उनसे पिरोये हुए अल्फ़ाज़,
तुम्हारे बारे में लिखना सपना था मेरा लेकिन डर मेरे अक्षर मे समाया था,
लाख मिनन्ते खुद से हजार समझौते, तब जाकर कही मनाया था की तुम्हारी मुस्कान से अपनी डायरी को महका दूँ।
कि लिख दूँ तुम्हे कुछ ऐसे की सारी कयनाथ आईने से जादा सच्चा तुम्हे मेरे पन्नो मे पाए और वो पन्ने ही मेरा आज और आने वाला का बन जाए।
कि प्यार की कोई ऐसी कहानी कभी न लिखी गयी हो न लिखी जायेगी
पर हुआ वही जिसका डर था तुम इन शब्दो मे कही गुम हो गए और एक और बार ये शब्द ही मेरी प्राणवायु बन गए।

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18 JUN 2020 AT 12:43

अंश हूं मैं तेरी माँ, सारांश मेरा तू है।
विश्वास हूं मैं तेरी माँ, साहस मेरा तू है।

जन्मा भी तुमने ही है, पोषित में तुमसे हुई,
तेरे आंचल की छांव में ही इस दुनिया से मैं परिचित हुई।
तुमसे ही उदय है मां, जीवन मेरा तुम तक ही है,
तेरी ममता की छांव में ही सब कुछ मेरा समर्पित है।

शक्ति हो तुम हम सबकी, संस्कार भी सब तुमसे हैं
मेरी प्रेरणा हो तुम विचार भी सब तुमसे हैं।
घनी निशा में किरण रोशनी की, नील व्योम की लालिमा तुम हो,
तुम से ही प्रकाशित धरा है, मां तुम ही ही तो ममता की मूरत हो।

गिरी जब भी, सम्भाला आपने।
लाख असफलतायें, विश्वास दिखाया आपने।
धार अश्रु की बहायी मेरे एक आँसू के साथ।
किलकारी के साथ मंद मुस्काया है,
धैर्य रखना सिखाया सुख मे,
दुख में भी मुस्काना सिखाया है।

मेरी हंसी के पीछे का राज तुम हो,
मेरी खुशियो का एहसास तुम हो।
तपती धूप मे, वो ठंडी छांव तुम हो।
सिर्फ माँ ही नहीं मेरा संसार तुम हो।

माँ स्वप्न आपके हैं, आकार मैं बनूंगी।
शब्द आपके हैं, कृति मैं बनूंगी।
खुशियां आपकी है, वजह मैं बनूंगी।
अक्स हूं आपका, आकाश में बनूंगी।

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5 JUN 2020 AT 14:55

अरसों से संजोकर रखा वो लम्हा
मुकम्मल जो हुआ तो,
तोड़कर सारे भ्रम
अब न इच्छा है कोई न कोई गम,
बस बीत जाए ये पल ,
और बनकर रहे एक एहसास,
की ना करूँ फिर कोई उम्मीद,
और ना रहूँ यूँ विस्मृत,
की अब उदय होगा वह,
विषाद जो होगा अस्त,
कली अंकुरित होगी,
विश्वास का सुंदर पुष्प ,
महकायेगा जो जीवन को,
पर हासिल किया बस अनंत दुःख,
की इसकी कोई सीमा नहीं,
और सीमित मेरी साँसे यहीं।

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8 MAY 2020 AT 22:35

मैं लिखना चाहती हूं तुम्हारे बारे में,
तुम्हें लिखना चाहती हूं,
और बस तुमको ही लिखना चाहती हूं,
मैं चाहती हूं मेरा हर शब्द तुम बनो,
मेरी कविता, कृति, प्रेरणा, अभिप्राय, अर्थ और यथार्थ भी तुम्हीं बनो।
मेरा विचार तुमसे है,
और मेरे विचारों के अक्षर भी तुम्हारे ही हैं,
क्योंकि कविता का मूल प्रेम है,
और मेरे इस प्रेम का मूल तुम हो।
मेरे हृदय में जो छवि तुम्हारी, हर क्षण रहती है
मेरा प्रत्येक शब्द उस से ही प्रेरित है।
इसलिए मैं तुम्हें नहीं लिख पाती,
क्योंकि तुम प्रेरणा हो मेरी,
और अपनी प्रेरणा को चंद लफ्जों में बांधना मेरे लिए संभव नहीं।

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3 MAY 2020 AT 22:36

किसी नदी के दो किनारों से,
या सिक्के के दो पहलू से,
वो सटीक विपरीत,
पर लक्ष्य उनका एक|
शायद यही उन्हें जोड़ता,
एक सूत्र में उनको पिरोता,
साल पर साल बीते
अब दोनों हर पल संग जीते|
कभी एक सरोवर शांत,
तो कभी दूजा निर्भीक नितांत,
एक ओर मैं होती हर्षित,
वह होती चिंता से ग्रसित|
मैंने उसको अपना माना,
मन के ऊपर उसको जाना,
फिर क्यों वह विमुख हो गई?
छाया मेरी मुझे खो गई|
विचलित रूह झंकृत मन,
मिलने को उससे विह्वल,
क्या कृति मेरी श्वेत हो गई?
हरियाली सब रेत हो गई?
क्या बसंत अब फिर आएगा?
या मृगतृष्णा सा सब रह जाएगा?

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20 MAR 2020 AT 8:25

Tumse sath rehne ka vada kiya to tha,
Tumhe taumra khush rkhne ka irada kiya to tha,
Ishq tha teri befizooli baato se,
Teri berukhi si adao pe dil haara to tha....

Bheed me duniya ki sirf tujhpe ki nazre ruki thi,
Ki teri hr ek halchal pe saanse meri thami thi,
Kayal bna diya tha teri hasi ne, or teri masumiyat pe dil haara to tha.....


Befikri kuch is kdr haavi thi teri nazro ki mujhpe,ki lakh koshisho se pare tere khayalo me khote gye....
Palke jo teheri teri zulfo ki nazakat pe,ki tufano se bhi ruksat na hue....

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22 FEB 2020 AT 22:59

Chehre khubsurat hn mgr, muskurahate khafa hn....
Aankhen gawah hn ki, raaten tabah hn...
Yun to hr karwat bemisal h zindagi ki,
Pr sathi hazar hokar bhi,sunsan hr bazar hn..........

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7 FEB 2020 AT 14:38

लाख मिसालें क्यों न देदो,
इश्क इश्क होता है मोहतरमा, चंद इंच की दीवारों से परे।
😉😉😉😉❤

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