कुछ लोग करते है ताउम्र साथ निभाने के वादे...
कुछ दिन मन बहलाने को!-
#nursingofficer💉💊
वो जिसके साथ तुम सारी ज़िंदगी बिताने के सपने सजा रहे हो ना
सुनो, वो चार दिन लगाएगा ये मोहब्बत भूल जाने में-
तन्हाई मिट जाती है, खालीपन भर जाता है
जब ये आधा चांद आसमान मैं साथ निभाने आता है-
सांसारिक जिम्मेदारियां अक्सर इच्छाओं का हनन करती हैं !
जीवन में इश्क़ का हनन होना भी उसी का भाग है!!-
अरे, मैं सब संभाल लूँगा!
कितना सकून और आशा भरा है ये शब्द...
आह! यही तो सुनना चाहते है हम!!
जिम्मेदारियाँ और मन के संघर्ष में फ़सा,
अंतर्मन भय से भरा हुआ..
ख़ुद से अनगिनत सवाल करते है हम -
कब कैसे और क्या होगा?
उम्मीद लगाते है की कहे कोई-
अरे,में संभाल लूँगा!
पर इसे सुनकर भी संतुष्टि नहीं मिलती!!
वक़्त की सुई से तेज होती मन की सुई...
जो सुई फिर सवाल करती है,
अरे कबतक और क्यों करेगा कोई?
ख़ुद को और उसको कहने को कोई ज़वाब ना था |
एकाएक अचानक आवाज़ हुई,
मानो कोई बोल रहा हो-"मैडम जी, छुट्टी हो गयीं "
वो अचानक उठी, कुछ पन्ने-किताबों के समेट कर रखते हुए..
मानो जिंदगी को भी समेट रही हो होठों पर हल्की मुस्कुराहट के साथ...
कान्हा जी है तो, वो सच में संभाल लेगा!!
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जब दिल में बहुत शोर हो या हो एकदम सन्नाटा...
किसी को बताने से अच्छा है लिख दो;
लिख दो कुछ पंक्तिया, होने दो कुछ गलतियां!
क्यूंकि ये कलम बिना किसी भेद भाव के
मिटा देगी चुबता दिल का काँटा !
ये शब्दो से नहीं भावनाओं से बात करती है
ना हस्ती है, ना घुटने देती है अकेले
ये किसी और को नहीं बस रखती है
तुमसे से तुम तक का नाता !-
बहुत ख़ामोशी से जाने दिया उन्होंने हमें..
मानो उसकी किताब-ए-जिंदगी का किस्सा ही ना हो!-
और बढ़ती उम्र के साथ वक़्त को कुछ यूँ बदलते देखा है,
अपनों से ही शिकायत करने से इस दिल को हिचकते देखा है!-