Aarav abhigyan   (Aarav abhigyan)
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Insta:Eighty1_quotes
Insta: Ehsaas_mere_awaaz_uski
Joined 7 January 2018


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28 JUL 2022 AT 22:54

महफूज़ था मैं अपने एक घर की सल्तनत में, मुझे उम्मीद नहीं थी, कि मोहब्बत इसकदर जंग लायी,
हाथों में नहीं था,लबों पर था खंजर उसके, एक चुंबन ने भंग कर दी दिल की हर चतुराई,
फिर मुझे बचाने के लिए ना काबे की दुआ, ना ही मंदिर की मन्नत रंग लाई!

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9 MAR 2022 AT 14:50

फरवरी बीत गयी है,अब तो मैं तुम्हें गुलाब भी नहीं दे सकता,
पहला इश्क होता तो बात ठीक थी,मैं दूसरे का नाम इंकलाब तो नहीं दे सकता,
कहानी अपनी छोटी रखना तुम,मैं फ़िर से इश्क को जिंदगी की नयी किताब तो नहीं दे सकता!

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9 DEC 2021 AT 10:00

लिहाज रखा है उसने शहर-ए-अदब का, दिल भी तोड़ा है तो आप कहकर,
उसे कबूल था दूसरा इश्क़,फिर भी उसने माफ़ी माँगी है अपने दूसरे इश्क़ को पाप कहकर!

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9 DEC 2021 AT 9:33


गलती है मोहब्बत के ख़्यालों की,
ये मुस्कुराहट तेरे चेहरे की बेकसूर है,
मैं हर दाग हूँ चाँद का,तू उसी का नूर है,
मैं कोयला किसी खदान का,तू कोहिनूर है,
मैं नौकर तेरे शहर में,और तू ही मेरी हुजूर है!

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14 SEP 2021 AT 22:10


पुरानी तस्वीर है जेहन में,पुराने खत है,पुरानी याद है,पुरानी बात है,
फिर भी वो कहती है मोहब्बत में बिछड़ते हैं कई लोंग इसमें नया क्या है?
उसे लगता है ख्वाहिशें बाकी है मुझमें,प्यार कहीं जिंदा है सिर्फ वो खुद ही तो गयी और गया क्या है??

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16 JUN 2021 AT 11:41

ख़ुदा कब तक कैद रखेगा उसकी मोहब्बत में,
अब आजाद कर दे,
अब तो ये दिल भी बेबाकी से उसकी बुराई करना चाहता है!

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21 MAY 2021 AT 16:06

घना अँधेरा,गहरी ख़ामोशी,ऐ रात तू इतना सब लेकर कहाँ से आती है,
दिन थकाता है कामयाबी के लिए,तू मोहब्बत के सपने दिखाकर सुलाती है,
हर शख्स भुलाता है दिनभर किसी अपने को,तू उसी का चेहरा दिखाकर रुलाती है,
ऐ रात तू इतना सब लेकर कहाँ से आती है!!

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15 MAY 2021 AT 13:50

दूरी दो कदमों की ही तो थी अपनों से,अब न जाने कहाँ वो गुम तारों में हैं,
दवाओं का पता नहीं मिले न मिले,पर दुआएँ जरूर बाजारों में हैं,
हाल मत पूछिये देश का साहब-ए-मसनद से,वो चुनावी प्रचारों में हैं,
शहादत का तमगा पहन सवाल मत करिए,वर्ना आप भी देश के गद्दारों में हैं!

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8 APR 2021 AT 23:14

कायल हूँ तेरी जुल्फों का तेरी इजाजत हो,तो मैं इनपर अपनी उंगलियाँ फेरूँ क्या?
पीला रंग जंचता है तुमपर महक उठती है किसी गेंदे सी,तुझे अपनी बाहों में घेरूँ क्या?
और मौत तक साथ निभाना है तो,बिना इजाजत ज़माने के मैं तेरे संग सात फेरें ले लूँ क्या?

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31 MAR 2021 AT 12:32

दिखी थी कल तस्वीर एक बेवफ़ा की,चेहरे पर उसके मेरे बहें हुए लहू सा रंग लाल नजर आ रहा था,
ज़ख्म हरे कर रही थी वो मोहब्बत के,मुझे पुराना बीता हुआ साल नजर आ रहा था,
खेली होंगी उसने और भी कई रंगों से होली, पर मुझे उसके हाथों में सिर्फ बेवफ़ाई का गुलाल नजर आ रहा था!

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