रात आती है लेकर
अपने साथ उदासी से
भरा भावनाओं का समंदर
उम्मीदों से भरे हुए अंतर्मन
में जब विसरित होना शुरू
होती है तन्हाई की तरंग
धीरे-धीरे डूबने लगता है
वह अंतर्मन भावनाओं के
इस अथाह गहरे समंदर में
~आशुतोष यादव
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From ballia u.p.
परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन,
ये फैले ... read more
प्रेम में पड़ी लड़कियां
उस समय सबसे ज्यादा
सुंदर लगती है।
जब वो अपने प्रेमी के
किसी राज को जानकर
भी उसके सामने अनजान
बनने की कोशिश करती है।
~आशुतोष यादव
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जीवन मे कभी सब कुछ स्थिर
नही रह सकता
कुछ चीजें साथ छोड़ देती है तो
कुछ नई चीजे साथ मे जुड़ती भी है।
( पूरी पोस्ट अनुशीर्षक में पढ़े )
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जिस-जिस को अपना समझा,
एक वक्त के बाद सब गैर हो गए।
गलती मेरी, उनकी या वक्त की ?
नए रिश्तें बनाने से अब बैर हो गए।।
~आशुतोष यादव-
बिस्तर पर अधखुली ऑंखे
नींद से होकर बेखबर बेफिजूल
की ख्याल बुनती रह जाती है,
रात को नींद नही आती है।
कुछ बंजर पड़े ख्वाब,
निरीह तन को करते है विक्षत
इसी कशमकश में रात गुजर जाती है
रात को नींद नही आती है।
अतीत के किस्से तो कभी
भविष्य में हाथ लगने वाले हिस्से
के बीच विचरण करता है दृग
रात को नींद नही आती है।
रात खेल रही है कोई खेल
या नींद ने की है गुस्ताख़ी
बीत जाती है रात करने मे तफ़्तीश
रात को नींद नही आती है
तमिस्र भरी रातो में चमकते
तारक व कुमुद के देख तफ़नगी
ऑंखे रात को कोसती रह जाती है
रात को नींद नही आती है
@आशुतोष यादव-
अपनी इच्छाओं पर काबू वही पा सकता है, जिसको अपने दिल और दिमाग के समीकरण के दोनों पक्षो को संतुलित करना आता हो।
~आशुतोष यादव-
सोते आँखों से देखे गए ख़्वाब का जीवनकाल
सोने न देने वाले ख़्वाब के जीवनकाल के अपेक्षा
कम होता है लेकिन जन्मदर अपेक्षाकृत ज्यादा होती है।
~आशुतोष यादव-
जितना विश्वास लड़का / लड़की का खुद
अपने-आप पर नही होता, कहीं उनसे ज्यादा
उन पर विश्वास उनके पिता का होता है।
~आशुतोष यादव-
ज़िन्दगी में हो रहा कुछ और है,
लिख रहा कुछ और हूँ।
हालात-ए-बयां कैसे करूँ,
मुझे ही नही पता, मैं कौन हूँ।
~आशुतोष यादव
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ज़िन्दगी में हो रहा कुछ और है,
लिख रहा कुछ और हूँ।
हालात-ए-बयां कैसे करूँ,
मुझे ही नही पता, मैं कौन हूँ।
~आशुतोष यादव
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