तारों की भीड़ देख, इस दिल की बेसब्री हमसे कहने लगी हैं,
कहीं दूर वो चाँद, ख्याल-ए-यार से नजरें छिपा तो नहीं रहा,
बादलों के साये की तरह छाने लगा है, ये यास-ए-हिज्र हमपे,
मोहब्बत का कोई ख्वाब ही शब की बेचैनी बढ़ा तो नहीं रहा,
चाहतें तेरी हमेशा मुकम्मल रही हैं दिल में धड़कन की तरह,
तुझसे दूरी मेरा सुकूँ हैं ऐसा कहके कोई बहका तो नहीं रहा।
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