आँचल त्रिपाठी   (©आँचल त्रिपाठी)
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Joined 6 June 2020


Joined 6 June 2020

परिणाम उसी अनुरूप निश्चित हो जाते
जिस प्रकार के कर्मों को हम चुनते हैं,
रावण और राम दोनों ही हैं इस मन में,
चुनाव हमारा है, हम किसकी सुनते है!

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मेरे जीवन के सारे कष्टों में, तारणहार बन जाती हैं वो,
सिर्फ एक बार दिल से पुकारूँ दौड़ी चली आती हैं वो,

कितने विधिविधान हैं, उन सभी से तो मैं परिचित नहीं,
पर मेरी माता की आराधना से रही कभी मैं वंचित नहीं।

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तमाम उलझनों में भी अपनी मजबूरियों का रोना नहीं रोये,
दुनिया में रहते हुए हम कभी इसकी रंगीनियों में नहीं खोये,
नींद थी, बिस्तर था, बहुत से हसीं ख्वाब बेताब थे आने को,
सफर खुद की खोज थी, बस इसलिए हम रातभर नहीं सोये!

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जिन्दगी को जो जरूरी लगती है, वो हर कहानी छोड़ आये,
तुम्हारी आँखों में मेरे किरदार की सच्ची निशानी छोड़ आये,

मोहब्बत के फितूर में हौसला इतनी जल्दी हार थोड़े मानता,
लेकिन सब ठहर गया, जाने कहाँ हम वो रवानी छोड़ आये।

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खामोशियाँ इख़्तियार करना मेरी आदत नहीं, जरूरत है
सुनिये! हमें आज भी आपसे वही पहली-सी मोहब्बत है

तुमसे रूबरू नहीं होते जब तक हम सिर्फ तुम्हारे होकर
तुम्हारे गले लगाने की ख्वाहिश भी ही तब तक कुर्बत है

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सुन्दर स्वप्नों से निर्मित आँगन में,
प्रिय मिलन हुआ हैं इक त्योहार,

उन नयनों की सच्चाई में डूबकर
हृदय हुआ मानो पावन हरिद्वार,

जीवन की समस्त आशाएँ तुमसे,
तुम चतुर्दिक प्रसन्नता का संचार,

हमारी प्रेरणाएँ परस्पर परिचित हैं
हमारे लक्ष्यों का मिलन है विस्तार,

परखा नहीं केवल समझना चाहा
मन से किया तुम्हें सहर्ष स्वीकार।

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इतने करीब हैं हमारे दिल, कि एक-दूसरे की बातें दुहरा रहे है,
और दूरी इतनी हैं, कि हालचाल पूछने में भी हिचकिचाहट है,

लफ़्ज-ए-मोहब्बत के जिक्र पर, उसका ख्याल कैसे ना आये,
वही शख्स तो हमारी किरदार की पाकीजा-सी मुस्कुराहट है।

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तारों की भीड़ देख, इस दिल की बेसब्री हमसे कहने लगी हैं,
कहीं दूर वो चाँद, ख्याल-ए-यार से नजरें छिपा तो नहीं रहा,

बादलों के साये की तरह छाने लगा है, ये यास-ए-हिज्र हमपे,
मोहब्बत का कोई ख्वाब ही शब की बेचैनी बढ़ा तो नहीं रहा,

चाहतें तेरी हमेशा मुकम्मल रही हैं दिल में धड़कन की तरह,
तुझसे दूरी मेरा सुकूँ हैं ऐसा कहके कोई बहका तो नहीं रहा।

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फुर्सत के लम्हों को कुछ इस तरह गँवा रहे हैं,
सच्चाई का कर्ज भी सफाई देकर चुका रहे हैं।

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मुरली की धुन में प्रेम का संगीत यूँ सम्मिलित हो जाए,
आपके चिंतन से 'कान्हा' अंतर्मन प्रज्ज्वलित हो जाए,

जीवनभर आपकी भक्ति का वरदान दे दीजिये भगवन्,
इस कृपा से हृदय की, समस्त इच्छाएँ फलित हो जाए।

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