आँचल सिंह  
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Joined 15 April 2020


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Joined 15 April 2020
26 JAN 2022 AT 11:08

ससक्त भारत देश है हमारा,
है पावन इस देश की माटी,
रक्षा करते हिम-बीर है माँ के,
देख लो दुनिया वाले,
इन वीर सपूतों की कहानी,
ये नया है हिन्दूस्तान हमारा,
जहाँ की सौम्य शक्ति की है,
गाथा निराली,
यह अमिट भारत की,
नई कहानी,
जो धारा की लाज बचाने को,
मर मिटे,
यह नए भारत की,
सौम्य कहानी,
हिमवीर ठाना है,
सौम्य भारत और सख्त भारत को,
बनाना है,

आँचल सिंह🇮🇳



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24 JAN 2022 AT 12:48

भुले हुए को अपनी याद दिलाना,
हक है हमारा,
पर जो नजर-अंदाज करें,
उसे नजर ना आना,
ये फर्ज है हमारा,

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28 FEB 2021 AT 8:11

परवाह सच्ची हो तभी आना,
क्यु-की मैंने अक्सर परवाह को,
पैसे से बिकते देखा है,

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10 OCT 2020 AT 19:41

ज़िंदगी हमेशा मौका तब देती है,
जब हम बर्बादी के कगार पर खङे होते हैं,

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16 JAN 2022 AT 16:49

अगर अपनो के नाम को सूची में लिखना शुरु करें,
तो पुरी दुनिया अपनी ही कह-लायेगी,
लेकिन हकिकत तो तुम जानते हो,
ना बप्पा❣

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31 DEC 2021 AT 16:30

जनवरी से सफर की शुरुआत हुई,
दिसंबर में हुई वर्ष का अंत,
कुछ ख्वाबों में रंग भरा तो,
कुछ रह गए बेरंग,
कुछ रिश्तो को नया आशियां मिला,
तो कुछ का हो गया अंत,
मिलकर बिछड़ना,
और बिछड़ कर मिलना,
है जीवन का यह भी एक रूप,
उम्मीदों का सावन यू आते रहेंगे,
काली घटाएं बादलों के साथ,
दस्तक देते रहेंगे,
हम ना रुक सके, और ना,
हम रुक पाएंगे,
हो घनघोर घटाएं,
क्यों ना काली,
नव सवेरा लाने से,
उदित की किरणों को,
ना रोक पाएंगी,

आँचल सिंह

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28 DEC 2021 AT 21:43

जब मन चाहे-अनचाहे,
सवालों के बीच,
फस जाता है,
तो एक जबाब,
गुलाब की दहलीज पर,
खङे होने से,
ही मिलती है,

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28 DEC 2021 AT 14:58

मैंने कई दफा देखा है,
तुम्हारे कदम उस और पङते हुए,
जिससे हमने बरसों पहले,
आपना नाता तोड़ लिया है,

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25 DEC 2021 AT 10:45

हिन्दू है हम,
तुलसी हमारी देवी है,
ज्ञान से विज्ञान को करती,
ये गौरवान्वित है,
हर शाम दिऐ की ज्योती से,
जगमग करती रहती है,
हिन्दु है हम,
घर आँगन में होकर,
पहचान करवाती हैं

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18 DEC 2021 AT 22:26

उम्मीद थी की जो खुशी रात के,
अंधेरे में धुधली सी दिखी,
इंतजार था की दिन के उजाले में,
साफ दिखाई देंगी,
लेकिन अफसोस,
यहाँ भी बेताहाशा अंधेरा ही मिला...

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