आंचल ;  
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Joined 6 July 2020


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3 NOV 2023 AT 18:47

ना जज्बात बदले हैं , ना दिल बदला है _
तुम लौटोगे मेरे शहर फ़िर एक दिन , एक इसी आस मे ना आज तक मकान बदला है~

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30 OCT 2023 AT 9:18

दिल को यूही अकेला गुनगुनाने दो ,
ये प्यार , मोहब्बत की ख्वाइशों को बस ख्वाबों में ही रह जाने दो ,
ज्यादा करीब से जाने से दोस्ती के रिस्ते भी टूट जाते है अक्सर ,
सुनो ;
ये वफ़ा के किस्से तुम बस किताबों पढ़ो और किताबों में ही दफ़न हो जाने दो ~

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14 JUL 2023 AT 19:14

तुमने कहा था तुम वापस आओगे .......................//~

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13 MAR 2023 AT 17:08

अच्छा सुनो !
जाओ आज तुम्हें अपनी यादों से भी आज़ाद किया .
तुम कहते थे ना क़ातिल हूँ मैं ,
जाओ मैनें भरी महफिल में खुद को गुनेगार करार दिया ।
पर सुनो ना ये हर किसी से नज़रे ना मिलाया करो , कातिल बहुत हैं यहाँ पर हर कोई गुनेगार बन जाएगा ;
मुर्शाद_ ऐसी गलतफेमिया ना जहन में लाया करो // -

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16 JAN 2023 AT 10:37

ओर मुझे
बस
इतना ही
होना था ,
अंधकार में
जुगनु सा
खोना था .
.
और कहते
थे वो
बड़ी नादान
हो तुम ,
असल में
मुझें
वही होना था //-

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22 NOV 2022 AT 13:58

कौन हूँ ,
क्या हूँ ,
कहाँ हूँ ,
कैसी हूँ ,
क्या फ़र्क पड़ता हैं ;
.
.
जिस रास्ते पे
निकली थीं खुद की
तलाश में ,
वो रास्ता छोटा और सरल ही हो
ऐसा जरुरी तो
नहीं हैं //-

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16 NOV 2022 AT 13:09

-


24 OCT 2022 AT 17:47

मेरे लिए मुश्क़िल रहा
तुमसे दूर जाना
जैसे नामुमकिन
सा होता हैं
आस्माँ का
जमीं से मिल पाना..
.
.
बिन इतिहास की
किताबें और कहानियों के
इतिहास को जान पाना..
.
.
ठीक वैसे ही ;
मुश्क़िल रहा ,
बहुत मुश्क़िल ,
तुमसे दूर जा पाना //-

-


19 OCT 2022 AT 11:25

और
मेरी हज़ार कोशिशों
के बाद भी
वो उसे लिखना ना छोड़ पाई...
.
मेरी ही कलम मुझसे
खुदगर्ज़ी पर उतर आई...
.
उसे लिख कर ,
मुझे रुला कर ,
वो ना जाने कितने कागज़ो
को स्याही से लपेट आई...
.
बेवफाई , विरह ,
क्या कुछ नहीं लिखा...
पर अंत में उसे सिर्फ़ प्रेम ही लिख पाई !!

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12 OCT 2022 AT 7:41


तक़्लीफ़ में पड़े लड़के ;
बताते हैं_
के
'समन्दर'
कितना शांत हो
सकता है ।

.तक़्लीफ़ में मुस्कुराते लड़के ;
बताते हैं_
के
'समन्दर'
कितना कुछ अपने अन्दर
चुप समा
सकता हैं _//-

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