जीत पर हार मिला है
तो हारने पर सीख
जरूर मिलना चाहिये
ये परखने की बात है
नज़रिया एक होना चाहिए।-
ख़्वाब को हक़ीक़त बनाता कैसे
तुम्हारे सिवा किसी को भाता कैसे
कसमें खाई थी खुश रखने की तुम्हें
फिर वादे को तेरे भुलाता कैसे
तुम्हें देख कर ही तो हम जीते थे
बगैर तुम्हारे दिल लगाता कैसे
अपनी तो तकदीर ही खाली रही
फिर झोली आगे फैलाता कैसे
छोड़ गई अकेली जब से तू मुझको
में दर्द- ऐ हाल तुझे सुनाता कैसे
दरख्तों की छावं मे बैठे थे हम तुम
दिल की बात जुबां पे लाता कैसे
कई अरसे लगे भुलाए तेरी यादों को
अब देख कर अनदेखा करता कैसे
ऐ दोस्त बात पहुँच चुकी मेरे शहर तक
एहसास दिलों के लबों पे लाता कैसे
में कर बैठा गलती अपने ही नज़रों में
बात गम की थी खुशी से बतलाता कैसे
ना मिलने की चाहत में कदम उठाए मैने
अफसोस अपनी ही रूह को समझाता कैसे
ये जो बहा रहे हैं अश्क मेरी मय्यत पे
अब कब्र से बाहर में आता कैसे ।-
तेरे मेरे दरमियाँ दोस्ती इस कदर है
तू करता है फ़ोन शायद मेरी फिक्र है
में रहती हूं ऐंगेज़ड हर वक़्त न जाने कहाँ
तुझे इसी बात का शायद मुझसे रंज है ।
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दो पल की जिंदगी है रूठना छोड़ दो
कौन मनाएगा रोना छोड़ दो
उम्मीदें करते हो जिससे तुम
उसके सपने देखना छोड़ दो
कोई नही दुनिया मे अपना
हर किसी के बातों में आना छोड़ दो।-
ना पकड़ो तुम मुझको
आज़ाद मुझे तुम रहने दो
खोल दो ये जंजीरे मेरी
आसमान मे उड़ने दो ।-
दुश्मनों से दोस्ती और
क़लम से दिल-लगी की है
मेने जिंदगी में अपनो
और गेरों की हिफाज़त की है।
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हर रोज गिर कर मुक्कमल खड़ी हूँ
ऐ जिंदगी जरा गौर से देख
हर पन्ने पर मुसलसल
सफलताएँ लिख रही हूं।-
तू कहता है
भूल जाऊं तुझे
जबकि
मेरी डायरी का शीर्षक भी
तेरे नाम का ही है ।-
पीठ पीछे वार
और
म्यान में रक्खी तलवार
एक शब्द ही काफी होते हैं
जिससे सम्भाल लिया जाए संसार।-