Aamir ✍️
(aamir_author)
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Poet | Blogger | Cook | Gardener
Joined 31 January 2017
21 DEC 2021 AT 13:19
सब कहा करते थे बसते हैं कई भूत वहाँ !
मार के कंकर तोड़े थे शहतूत जहाँ!!-
16 JAN 2022 AT 22:52
आम के बाग़ में लेटूँ तो कभी आँख लगे,
गुड़ जो पकता हुआ महके तो मेरी नींद खुले!-
14 JAN 2022 AT 23:48
जो उसे तोड़ा ग़ुस्सा मगर निकल तो गया
चल भला मान ऐ दिल उस टूटी पलेट का!
लिखा ग़लत कभी तो बस यूँ ही मिटा दिया
क्या ख़ूब ज़माना था वो चटकी सलेट का!
- आमिर 𝓐𝓪𝓶𝓲𝓻-
10 JAN 2022 AT 20:30
इन दरारों में छुपे हुए हैं जाने कितने हादसात
चेहरे की सिलवटें नहीं ये वक़्त की परतें हैं!-
31 DEC 2021 AT 8:38
नशेमन जल चुका अब सोचते हैं बुनियादें,
यहाँ रखते तो अच्छा था, वहाँ रखते तो अच्छा था!
~ Unknown
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22 DEC 2021 AT 14:15
क्यों वो तारीख़ी किताबें ही हरेक बार पढ़ें
नीचे कपड़ों के बिछा है जो अख़बार पढ़ें!-