जब जब मुझे लगा खास हुॅ तेरे लिए,
तेरी बेरुखी ने समझा दिया कितना झूठा हुॅ मैं ।
इतना अकेला हुॅ तेरे तन्हाई की गोद में,
कि जब मौत भी ऐ तो हस्ते हस्ते गले लग जाऊँ मैं ।।-
एक कहानी एक मोहब्बत की बातें होती थी,
उनकी बातें वो रातें याद किया करती थीं।
राहें देख रहा था उनकी चाहे ज़माना लगे,
मिलना तो जरूरी होगा उनसे अभी या रूहें मिले हमारी।
मेरे हर फ़ैसले पर तेरा हक था,
जितना तन्हा मैंने उनको किया उतनी रुसवाई मुझे है।
उनके जाने के बाद जो रह गए वो न सम्हला मुझसे,
अब यादें नहीं उनकी मौजूदगी चाहिए थी।
एक कहानी एक मोहब्बत की बातें हुआ करती थीं,
उनकी बातें वो रातें याद किया करती थीं।।-
कुछ बातें मेरी शायरियों ने कहीं,
कुछ अल्फ़ाज़ आँखों ने बयां किए।
न कभी चाहत थी उनको अपना बनाने की,
बस उनकी एक झलक ही दिख जाएगी ये एहसास ही काफी था।
नजदीकियां कितनी थी उनसे कि दूरियों ने जगह बना ली,
वक़्त था, सांसे थी, इंतज़ार तो थी बस एक झलक की।।
इन लफ़्ज़ो में दर्द की नुमाईश को देखकर,
मेरे पढ़ने वाले भी तेरे बारे में सोचते जरूर होंगे।।
तोड़ा जो तूने ये दिल मेरा, क्या हैरान करोगी मुझे,
तुम ही तो रहती हो, अपना ही घर वीरान करती हो।।
जो हम रोज उनके लिए उदास होकर रातें गुजारतें हैं,
किसी दिन रात उदास होगी और हम गुजर जायेंगे..!!..-
कुछ लिखा इस तक़दीर ने..
या बना बैठा है इस दिल में मैंने।।
यादें तो थी बातें बहुत सी...
खैर छोड़ो भुला दी सारे मैंने।।
रक्खा जो इस दिल पर पत्थर..
न जानें कब उमर भर की दीवारें बना दी मैंने।।
इस बेदर्द जमने की निभानी थी रस्में सारी मगर..
भुला दिये रिश्ते सारे मैंने।।
तू समझ ही नहीं पाई मेरी लफ़्ज़ो की गहराईयों को..
हर लफ़्ज़ को लिख दिया जिसका मतलब मोहब्बत था मैंने..।।..-
लिखे कुछ लफ्ज़ आज फिर, तुम्हारे लिए,
कहीं फिर छिपा लिए हैं जज़्बात सारे, तुम्हारे लिए।
समझ सको तो इन आँखों को मेरे हर्फ़ समझना,
तुमसे जुड़ी यादों का ही ज़र्फ़ समझना,
शायद हर सवाल का जवाब है इनमें।
यहां अब भी सूरज ढलता है
और रात उसी चांदनी में मदहोश रहती है,
तेरा एहसास अब भी महसूस होता हैं यहां।
जिसके लिए कभी जान भी हाजिर थी हमारी,
वो जान आज किसी और की दीवानी लगती है।
कभी लौटेगी नहीं वो, ये बात समझ ली है मैंने,
शायद इसीलिए दिल की छिटकनी अंदर से लगा ली है मैंने..!!..
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तेरी बातों से, तेरे एहसासों से आज भी धङकता है ये दिल,
न जानें क्यों अब भी तड़पता है ये दिल।
तेरी हर उस छुवन का ऐहसास,
अब भी मेरी सासों से होकर गुजरता है।
तू पास होकर भी डर से लगती है,
न जाने कब, कैसे ये मोहब्बत हुई है।
तुझे पाया था या नहीं बहुत से सवाल हैं,
शायद इन कमबख्त आँखों की नमी हर जवाब है..।।-
चुप चाप से रहने लगी है वो..
न जाने किन ख्यालौं में।
जुलफें भी अब न सवारा करती हो..
जिनके हम कभी दीवाने थे।।
आरज़ू ये दिल की हमेशा जलती रहेगी उनके लिए..
एक बार रोशनी तो करो तुम शाम बनके..
मोम बन कर ही पिघलते रहेंगे..!!..-
कितना लिखूं तेरे याद में,
धुंधला सा याद है उसका चाँद सा चेहरा।
न जाने कितना दम है मेरे फरियाद में,
उस अंजान से आँखों में भी कभी बेशुमार प्यार था।
और क्या अंदाजा लगायी गी ये दुनिया मेरे बर्बादी का,
देखा कहाँ है इसने मुझे शाम होने के बाद।।
इस दफा बंदिसें बहुत हैं मोहब्बत में,
छोङ अगले जन्म में फिर मिलेंगे।
नई कहानी होगी नया आसरा होगा,
न जाने शायद फिर कोई नया र्दद होगा।
कहते हैं कि सोना अग्नि मैं तप कर कुंदन बनता है,
और र्दद का दरिया को पार कर प्यार निखरता है।।-
लिखूं आज कुछ उसके बारे में
मेरे दिल का दर्द अभी ताजा है।
ये दिल भी जब टूटा तो वो फलक भी काँप गई
और ये मोहब्बत जब रूठी तो वबायें फैल जाती हैं।।
गिरे है जो कुछ आंसू मेरे कागज पर,
न जाने किसका दर्द ज्यादा है, मेरा या मेरी इस सियाही का।।
अब न हसरत रोने की और न हसरत कुछ चाहने की,
क्योंकि इंसान बनाने वाली भी वो थी..
और पत्थर बनाने वाली भी वही है।।-
चूमा था जिन हाथों को,
आज उन्हीं हाथों में किसी और की मेहंदी लगी है।
वादा था जिनसे उम्र भर का,
आज वो किसी और की होंगी।।
कुछ मजबूरियाँ उनकी भी थीं,
कुछ जिम्मेदारियों से मैं बंधा था।
बेवजह तड़पता था तेरे पास आने को,
न जाने कितनी नादानियाँ की,
इस दिल की धड़कन में तेरी रूह को बसाने में।।
बेरंग सी जिंदगी में,
रंगो के संगम सी आई थी तुम।।
न जाने अब कब मिलेगा,
सुकून तेरे ऐसे दीवाने को।।-