जिस शहर जाएंगे नजर में आएंगे
हम बादल बनकर सफर में आएंगे
पहले गुल ए ख़िज़ां में महकेंगे हम
फिर मिठास हो के समर में आएंग-
Lost somewhere on the way
Back in time
With some maim
Now he stays with me
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मिरे बेतरतीब बाल मिरा चेहरा
हर आईने पर सवाल मिरा चेहरा
ये रोने हसने के खेल ज़माने के
मुखौटों की मिसाल मिरा चेहरा-
महीनों मिलता नहीं, तू कैसा अहबाब है
तेरे मेरे दरमियान ऐसा कैसा हिसाब है
तुम्हारी एहमीयत क्या ही बताए 'आक्रुष'
इतना है के तुम्हारे पास मेरी एक किताब है-
Kaise khe du jhut ke nikhar jaunga
Us gaali nhi gaya to khidaar jaunga
Mere jakhmo ke jakhm par jakhm hai
Ab dawa na lagai to bhikhar jaunga-
Meri maut par koi malal maat karna
Jawab nhi milega, sawal maat karna-
एक जिस्म हैं जो फ़ानी हैं
एक आँख है जो पानी हैं
जो हैं आज ही है, कल
तेरी जान भी तो जानी हैं-
एक अरसे से मर्ज़-ए-इश्क़ से मजबूर हूँ मैं
ख़ुशी का पता नहीं लेकिन गमगीन जरूर हूँ मैं
यू तो मुसकुरा लेता हूँ दर्द मे भी अकसर
पर सच कहू तो अंदर से बहुत कमजोर हूँ मैं|-
तुझे आयत की तरह याद रखा और
तू मुझे एक किस्से सा भूल गया
जैसे तुझमे बस जिन्दा रहा तू और
मुझमे 'आक्रुष' कबका मर गया
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Ek dost se kai saalo se mulaqaat nhi hui
Raaz saare jaanta hai, bas koi baat nhi hui
Din saare dhal gae par yaadein baaki hai
Shayad isliye 'aakrush', ab talak raat nhi hui-
मेरे ज़िक्र से भी ज़िक्र मेरा पूरा नहीं होता
एक तेरा ज़िक्र बाकी है जो कभी पूरा नहीं होता
जैसे बिना फ़लक, उफुक का नामोनिशान नही होता
ठीक वैसे बिना आकास 'आक्रुष' कभी पूरा नहीं होता-