Aakriti Chaturvedi   (बागी_ बनारसी aaku✨)
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Joined 24 March 2020


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Joined 24 March 2020
13 HOURS AGO

मैंने देखा है झांक कर खुद मे
एक खोलखलापन खाये जा रहा मुझे
मैंने देखा है खुद को छुप के
एक ख़ामोशी बरसों से दबी है मन मे
मैंने देखा है इन आँखों को
एक ख्वाब बिखरा है जेहन मे
मैंने देखा है उस चेहरे को
...........

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31 JUL AT 23:54

कभी सोचा हैं बहुत बोलने वाला इंसान चुप हो जाए तो क्या होगा ?
कभी सोचा है ये लहरों का शोर लिए समुंदर ख़ामोशी के जाल मे उलझ जाए तो क्या होगा?
कभी सोचा हैं की इन चिड़ियों की चेहक के बिना ये शाम कैसा होगा ?
नही सोचा है न ...
सोचना भी मत.....
की चुप हुआ वो इंसान अपने अंदर समुंदर से भी बड़े बवंडर को झेल रहा होगा
सोचना भी मत
की चिड़ियों की ख़ामोशी के पीछे उनका कोई साथी रहा होगा
सोचना भी मत
की समुंदर की ख़ामोशी आने वाले चक्रवात की रफ़्तर से भी वाक़िफ़ होगा
की इन सवेंदनाओ कत्ल किसी विकल को जन्म देगा..

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28 JUL AT 23:40

नहीं निकलते दिल से वो लोग
जिनसे एक बार मोहब्बत हो जाए

भूल जाना, भुला देना
ये सब बस कहने की
बात होती है........

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22 JUL AT 18:51

तारों ने पूछा था चाँद से
दुनिया तुममे इश्क़ देखती है,
ख़ुद को मेहरुम कहती है
क्या देखते हो तुम दुनियाँ मे?
चाँद ने कहा :-
एक तरफ़ देखूँ तो इश्क़ है आँखों मे
दूसरी तरफ़ ख़ामोशी पसरी है बातों मे
एक तरफ़ सब खुश है इस जमीन मे
दूसरी तरफ टूटे तारे बिखरे है कहीं पे
एक तरफ़ देख मुझे लोग ख्वाब बुनते है
दूसरी तरफ भींगी आंखे से ख्वाब बहते है
क्या कहूँ क्या देखता हूँ ?
नदियों मे लाश, तकियों पे ख्वाब देखता हूँ
कुछ जीते हुए सपने देखता हूँ, कुछ अधूरे अपने देखता हूँ
किसी अंनय मे राम देखता हूँ, जमुना किनारे श्याम देखता हूँ
देखता हूँ पहाड़ की चोटिओं को समुंदर किनारे शाम देखता हूँ
इस दुनिया मे राम देखता हूँ ,रावण से हुआ संग्राम देखता हूँ
मानवता का हनन देखता हूँ, आने वाला कल देखता हूँ...








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21 JUL AT 15:02

क्या पूछे हो हाल किसी का
कुछ बिगड़ जाने पे ?
या छोड़ दिया हो, सोचे के
सब सुधार जायेगा सही वक़्त आने पे
क्या हुए हो निराश कभी तुम
किसी के चलने जाने पे ?
या सोचे हो सब ठीक होगा
सही वक़्त आने पे
क्या हुआ है ऐसा कभी
ये आँशु पलकों पे भारी लगने लगा हो ?
या ये हुआ की गले से लगा
सब कुछ हल्का लगने लगा हो
क्या तुमने महसूस किया है
कभी सासों का मुश्किल से आना?
या अहिशते अहिशते किसी ख्वाब
का हकीकत से दूर होते जाना ?
क्या रोये हो कभी तुम?
बेवक़्त ,बेवजह, बेहिसब,या खोये हो कभी तुम
सब कुछ , एक साथ
क्या देखा है तुमने कभी?
एक बड़ी से खाई ,अपने और अपनों के बीच
या सुना है तुमने कभी
उन सिसकियों को जो भीड़ मे अनसुनी रह गयी हो.....


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21 JUL AT 7:54

कभी सुना है नम आँखों से अंकही बातों को?
कभी देखा है बादलों की गरज मे हवाओ की बेचैनी?
कभी देखा है खुद को किसी एक चीज़ की कमी मे?

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17 JUL AT 8:04

Meri hasi gawah hai is baat ki,
ki tum mera kuch bhi nhi bigad skte jbtk kanha ❤mere sath hai

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12 JUL AT 19:30

क्या यादें बोझ बन जाती है?

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6 JUL AT 22:09

Zindagi se gila nhi
Pr kuch toh khas tha jo mila nhii

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24 JUN AT 23:15

ये बारिश की बूंदे मेरे मन की ख़ामोशी को
उस तरह चोटिल कर रही
जैसे पर्वत पे गिरता झरने का पानी

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