Aakash Udeg(Kabir)   (By Kabir....)
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Joined 5 November 2017


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12 FEB AT 22:22

किसी को मिला मैं,
किसी को मेरी हकीगत,
किसी को पता मेरे ख़्वाब,
किसी सिर्फ अब।

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12 FEB AT 22:21

किसी को मिला मैं,
किसी को मेरी हकीगत,
किसी को पता मेरे ख़्वाब,
किसी सिर्फ अब।

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7 JAN AT 22:53

जो ढूंढते हो,
क्या है तुम्हे पता,
की वो क्या है।

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13 JUL 2023 AT 23:54

क्यूं में कहूं,
जब समझते कम,
क्यूं न सहूं,
खुदही खुदके गम।

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12 JUL 2023 AT 0:41

जिक्र बेवजह,
तकलीफ़ बेवजह।

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19 APR 2023 AT 23:58

मेरे दिल के पास जरा संभाल कर आना,
टुटे दिल के टुकड़े कहीं चुभ न जाए।

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16 MAR 2023 AT 23:31

जो समझा मैं खुदको,
तो दुसरोंसे नफरतें कम हुईं।

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16 MAR 2023 AT 0:36

हमें दुनिया की ना फ़िक्र जितनी,
करे ये दुनिया फ़िक्र उतनी ।

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4 MAR 2023 AT 8:49

लफ्जों मांगी इजाजत आंखोसे,
पर आंखें तो पहलेसे ही डूबी जा रही थी।

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24 FEB 2023 AT 1:04

तु क्यूं सोचता हैं,
जो सोचना ही मना हैं।

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