Aakash Udeg(Kabir)   (By Kabir....)
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Joined 5 November 2017


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5 DEC 2024 AT 23:10

तु नसता,
तु असणे आवश्यक,
तु असता,
तु फक्तं मामूली शख़्स!

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26 SEP 2024 AT 23:36

कहा न कुछ, रहा चुप,
पर झूठा न मैं।

सोचा काश, बना लाश,
पर मरा न मैं।

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28 AUG 2024 AT 22:07

काश तुम इन यादों की तरह होते,
तो बेवजह, बिन बुलाए, बिना अहंकार के आ जाते।

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12 FEB 2024 AT 22:22

किसी को मिला मैं,
किसी को मेरी हकीगत,
किसी को पता मेरे ख़्वाब,
किसी को सिर्फ अब।

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12 FEB 2024 AT 22:21

किसी को मिला मैं,
किसी को मेरी हकीगत,
किसी को पता मेरे ख़्वाब,
किसी सिर्फ अब।

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7 JAN 2024 AT 22:53

जो ढूंढते हो,
क्या है तुम्हे पता,
की वो क्या है।

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13 JUL 2023 AT 23:54

क्यूं में कहूं,
जब समझते कम,
क्यूं न सहूं,
खुदही खुदके गम।

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12 JUL 2023 AT 0:41

जिक्र बेवजह,
तकलीफ़ बेवजह।

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19 APR 2023 AT 23:58

मेरे दिल के पास जरा संभाल कर आना,
टुटे दिल के टुकड़े कहीं चुभ न जाए।

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16 MAR 2023 AT 23:31

जो समझा मैं खुदको,
तो दुसरोंसे नफरतें कम हुईं।

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