अदालत भी मेरी थी कठघरा भी मेरा था,
निर्दोष भी मैं था गुनाह भी मेरा था
अर्जी भी मेरी थी निर्णय भी मेरा था
वकील भी मैं था दोष भी मेरा था
कठघरे में हर जवाबों का सवाल भी मेरा था
न्यायधीश भी मैं था मुद्दा भी मेरा था....-
आईना
कुछ अकेला सा लग रहा था ,
बात करूं क्या किसी से ?
नहीं यार किसे परेशान करूंगा
इतनी रात को कुछ सो रहे होंगे
कुछ अपने आप में रो रहे होंगे
कुछ दूसरों की बातों में खो रहे होंगे
कोई मिल ही नहीं रहा है
ये अकेलापन बांटू कैसे
अपनासा कोई दिख नहीं रहा है
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कई मोड़ मिले मुझे उन राहों में,
कुछ छूट गए कुछ छोड़ दिये ।
जब मन की राह ना मिली कभी,
तो खुद ही रास्ते मोड़ दिए ।
कभी टिस लिए,कभी मौन लिए,
बस चला किया मैं ख्वाब की ओर,
मंजिल से रास्ता रोक फिर एक दिन,
मेरे सारे संशय तोड़ दिए ।-
कोई रहम ना करना,
ऐ जिंदगी मेरी कहानी पर ;
तेरे चालों पर ही टिकी है,
उड़ानों की ऊंचाई मेरी ।
मजबूती मेरे पंख की,
ना कमजोर कर तू लाड़ में,
तेरे बेरहम रवैये से ही,
मुझे है पता सच्चाई मेरी ।-
मेरा कुछ पक्का नही है......
आजकल कहीं भी सो सकता हूँ,खुद को नशे में डुबो सकता हूँ,
हिज्र वाली चुनरिया में,मैं,
अपना नाम पिरो सकता हूँ,
है इश्क़ तुम्हारा काबा काशी
मेरा कोई मक्का नही है,
मेरा कुछ पक्का नही है ।
रातों में उजाला चाहता हूं
तेरे हाँथ से निवाला चाहता हूं,
वो चाय जो हम तुम पी ना पाए,
उसके झूठे पियाले चाहता हूं,
उस चाय का बिल भी चुकाना है,
पर जेब में सिक्का भी नही है
मेरा कुछ पक्का नही है....-
ज्यादा कुछ सोचा नहीं,
हमने तुमको ज़िन्दगी,
कह दिया तो कह दिया
तुम्हारे बाद ये दिल
कहीं लगना है मुश्किल
शौक़ हो तुम आखिरी
कह दिया तो कह दिया ......-
Democracy is incomplete n inaccurate in any country unless women of that nation are provided with complete freedom !
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