मुझे सभी चेहरों से अंजान रहना है
भीड़ – भाड़ कि दुनिया से गुमनाम रहना है
के मुझे ज़िंदा न कर फिर दफ्न करने के लिए
मुझे एक बार में ही वीरान शमशान रहना है-
अपनो और सपनो के साथ |
Writing is the epitome of my ultimate ecstasy.📝📝😍🤗
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थंड वाऱ्याची झुळूक गालावर पडली
हरवलं मन, कळी माझी बहरली
टीम-टिमनारा अंधार मावळला
किरण प्रारंभी जशी माझ्यावर पडली
उन्हातला गारवा समाधानी जाणवला
तर थंडीतली ऊब मायेची समजली
पाऊल टाकले मी आशेचे पाठोपाठ
किरण प्रारंभी जशी माझ्यावर पडली
दडपण मनाचा वाहुनी गेला
जड पापण्या अलगद उघडल्या
भोवती चिमण्यांची सूरही जुळली
किरण प्रारंभी जशी माझ्यावर पडली
पर्ण वळले हळू तरु प्रसन्न झाला
ढगाआडूनी रवी जसा निघाला
चौहिकडे सोनेरी लख्ख उजळली
किरण प्रारंभी जशी माझ्यावर पडली-
चलते चलते एक और वर्ष बीत गया
गुजरी हर घड़ी और लगा अरसा बीत गया
हर ढलते दिन ने मुझे कोई सिख दी
कुछ मिल गया तो कुछ छुट गया
वक्त बीतता गया बदलकर हालातों को
कभी अरमानों को तो कभी जस्बातों को
ठहर गया वो वक्त जो कभी अच्छा लगा
जो न भाया वो दिन भी हमसे रूठ गया
कुछ मिल गया तो कुछ छूट गया
खत्म हुई कई कहानियां
तो कई किस्सों का घर टूट गया
कई पराए अपने बने सफर में
तो कई अपनो का साथ छुट गया
प्रकृति का नियम ही परिवर्तन है
कभी नही कुछ अमर यहां रूक गया
छोड़कर चलते है आगे हर कदम पर
जो बीत गया...... सो बीत गया-
पत्थरो मे यहाँ जान नही पलती
हर सीने मे यहाँ आग नही जलती
सोच समझ कर पानी डाल किसी पौधे मे ग़ालिब
के यहाँ हर मिट्टी मे वफा नही खिलती.......!!!-
मनात खंत नाही
हा भाग आहे रोजचा
ना गंत आहे आयुष्या
ना आसमंत भोग हा
मन पांगळा क्षणात हा
ना जीव ना वेदना
पाषाण बनले ठानुनी
ना भासते संवेदना
ना प्रगती चा भास हा
ना सुटकेचा श्वास हा
कठोर झाले माणूनी
आपुलकीचा ध्यास हा
नको मनी आशा
ना हवी काही निराशा
एक एक करत चालला
प्रवास अनंत वेगचा-
तंग गलियों में बसर नही होता
खुदका खुदपे असर नहीं होता...
अब तो छू लेने दे आसमां ए जिन्दगी
की घुट रही ससों में सबर नही होता .....-
कोलाहल चल रही है अंदर
ये मन गहरा है या समंदर
बहुत सोचा पर समझ न पाया
क्या होगा इसका उत्तर-
चंद लफ्ज़ों में जिन्दगी बयां नही होती
कुछ पन्नों से किताबें ज़ाया नही होती
ना निकालो निष्कर्ष किसी एक झलक पर
युही शक्तिशाली ना दिखने वाली हवा नही होती !!-