“ समय की गाड़ी निकली एक नई शुरुआत के लिए " भूलकर सब कुछ मुसाफ़िर आप भी बने। समेट के सब यादों को साथ अपने , मैं खड़ा हूँ अभी भी वहीं अकेला उन नम आँखों को लिए।
कहा जाता हैं कि टूटते तारे से कुछ मांगों तो वो तमन्ना पूरी हो जाती हैं । पर अब इन किस्सो पै यक़ीन नही होता मुझे ,न जाने कितनी मर्तबा तमन्नाओ मे मैं अपनी टूटते तारो से मांग चुका हूं तुझे ।
अगर तुमको एतराज न हो तो मैं तुमसे मिलना चाहता हु , थोड़ी देर ही सही पर तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताना चाहता हु । कुछ बाते करना चाहता हु , कुछ पुछना चाहता हु ! कुछ बताना चाहता हु ! अगर हो मंजूरी तुम्हारी तो कुछ वक्त तुम्हरे साथ जीना चाहता हु।
लोगो से बात करना तो मुझे भी पसंद था जनाब , कभी मेरे चेहरे पे भी मुस्कान हुआ करती थी । ओर ये जो खामोसी की गिरफ्त तुम देख रहे हो मेरे चेहरे पे ये तो मुझे कुछ समय पहले ही मिली है , इससे पहले तो मेरी भी एक अलग पहचान हुआ करती थी ।
फितरत मे तो नही होगी बेवफाई तुम्हारे , शायद तुमने भी कभी अपना दिल किसी पै निसार किया होगा । तोड़ा है कुछ इस कदर तुमने मुझको , लगता है तुम्हारे दिल से भी कभी किसी ने खिलवाड़ किया होगा !