जो तुम मुझको समझ पाते,
तो क्या बात होती,
बिना कहे यु प्यार जताते,
तो क्या बात होती,
रूठने पर मुझको मनाने आते,
तो क्या बात होती,
मोहब्बत के समंदर में साथ गोते लगते,
तो क्या बात होती ,
मेरी उलझनों को यु सुलझाते,
तो क्या ही बात होती ...-
रुक जा ,
थम जा ,
ऐ मोहब्बत के सौदागर ,
तू दिल- दिल लिए फिरता है ,
मोहब्बत के गलियारे में ,
क्या आएगी तेरी मोहब्बत एक किनारे पर ।-
मतलबी दुनिया में कौन यहाँ किसका हुआ हैं,
धोखे के जमाने में कौन यहाँ सच्चा हुआ हैं ।।-
तुम जिस्मों की बात करते हों,
रूह तक नहीं आते हों,
क्या अपनी मोहब्बत को ,
यूं ही बयां कर पाते हो ।-
जिन्दगी कुछ यूं आफताब हो जाती हैं
जब भी उनसे मुलाक़ात हो जाती हैं
मोहब्बत तो बहुत दूर की बात है जनाब
वो बात करके ही दिल जीत ले जाती हैं ।।-
उन तक पहुँचने के लिए
हमे मोहब्बत के समंदर में डूबने पड़ा
उनकी रूह का पता जानने के लिए
उनके जिस्म-ओ-हयात को इग्नोर मरना पड़ा-
मोहब्बत में उनकी हम यू निसार हो गए ,
उनकी एक झलक पर ही हम दिल हार गए ।
उनके चेहरे से इश्क़ नही हुआ हमे ,
बस उनकी सादगी पर हम दिल हार गए ।।-
जो लिख दूँ मैं तेरे रूह को ,
लोग दीदार-ए-हुस्न छोड़कर तेरी रूह को जानने लगेंगे ,
बिना खोए इस गहरी मोहब्बत में ,
तेरी रूह तक का पता जान जाएंगे ।।-
मैं शेरनी समझ फिदा हुआ तुझ पर
पर मुझे ये नही यकीन था कि तुझे
गीदड़ का साथ पसंद आएगा ।।
समझदार लोग समझ गए होंगे ।।।
🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣-
कभी दीदार करा दो अपने हुस्न का ,
हम कोई निर्बुद्धि तो नहीं ,
जिसे हीरो की परख तक न हो ।।
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