रात के ये अँधेरे में खामोश सी ये कमरे में मुझे एक शोर सुनाई देती है जाऊ भी तो कहाँ हर ओर सुनाई देती है फिर आती है एक आवाज़ मत डरो इस अंधकार में जीत होगी तो शानदार होगी जब सब खड़े है तुम्हारे हार के इंतज़ार में
ना जाने क्यूँ फिर से ये रात आया है भरी महफ़िल में भी खुद को अकेला पाया है पर जल्द मिलेंगे तुझसे ए ज़िंदगी मन कि यही आवाज़ है कर दिया हमने ही अब ये आगाज़् है