तमाम अपवाहों में मेरी नाकामियां ही तो है,
कामयाब हूं कितना तुम मेरी माँ से पूछना..!-
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कोई उदास तक नहीं हो पाया हमसे आज तक इस के दौर-ए-जमाने में,
दुःख तो सिर्फ इस बात का है कि उसे इसी बात का क्यों मलाल रहा।-
मैं मुसाफ़िर हूं साफ दिल का इस दौर-ए-ज़माने में,
खामखां तुच्छ लोग खेल जाते है अक्ल-ए-पैमानों में।-
मेरी बहना हमारे खातिर हर बार उपवास रखती है,
दिलो पे सबके हुकुम और हमारे गद्दी पे राज़ करती है।-
मैं वो शख्स नहीं हूं जो सीधा शीशे की तरह तोड़ दूं,
हिसाब लगा लो मैं तोड़ता सूखी पत्तियों की तरह हूं।-
स्त्री वो नहीं है जो कहे कि मेरे नखरे उठाओ,
स्त्री वो है जो कहे मै तुम्हें अथाह प्रेम करूंगी।-
दोस्त है कुछ जो बिछड़ गए लोगों की विरासत में,
हम एक ही है ऐसे जो कमब्खत उनकी राह देखते है।-
अगर मर भी जाऊं मैं तो इस दुनिया वालो से कह देना, कि हिन्दुस्तान की मिट्टी में जन्मा एक बेटा मेरा पाकिस्तान भी है।
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राम की नगरी से भड़वो का है पारा घमासान सा,
भाग जाओ कायरों यहां भी है भगवा रंग शान सा।-