आकांक्षा नामदेव   (आकांक्षा नामदेव🌼✨)
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Artist_Ö_mystic🖤
Teing up the revolving words✍️
“आकांक्षा" की आकांक्षा🌼
Joined 8 June 2020


Artist_Ö_mystic🖤
Teing up the revolving words✍️
“आकांक्षा" की आकांक्षा🌼
Joined 8 June 2020

कभी हंसती, कभी खिलखिलाती,कभी हरकते बचकानी
बस तेरे ही हिस्से आया,ये पागल सा व्यवहार मेरा!!
हर बात मे अपनी मनमानी,कभी अकडू, कभी ढेर सी नादानी,
बस तुझसे से ही पाया मैने,हर एक अधिकार मेरा!
खुशियो मे तेरी खुश हो जाऊँ और दुखी तेरी परेशानी मे
तुझसे ही रोशन हो जैसे,हर एक तीज त्योहार मेरा!
हर मन्नत मे माँगा जिसको,और पूजा हो शाम सुबह
रहे हृदय मे मेरे हमेशा ,एक अमिट स्थान तेरा!
मीरा जैसी भक्ति भी,और राधा सा त्याग भी हो
बस तेरे ही हिस्से आया ,निस्वार्थ सा या प्यार मेरा!

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सोने सी धरती इधर और चांदी सा असमान है
रंग रंगीलो रस भरयो प्यारो राजस्थान है!
भोला कण कण,धन्य पोखरण,उजला अम्बर,शोणित माटी
सर्द सर्द सी रातें और तपता रेगिस्तान है
रोटी ज्वार बाजरे की, चूरमा बाटी दाल है
लीलो घोड़ो, घूमर रमवा, वीरों का गौरव गान है
रंगीलो परिधान,और केसरिया पगड़ी की शान है
गढ़ चित्तौड़, हवा महल, झीलों की नगरी
भव्य किला आमेर का और थार का रेगिस्तान है
प्रेम सिखाते, प्रेम बताते है ढोला मारू के गीत जहा
और मीरा के एकतारे को मिलता, गिरधर का गुणगान है
चेतक सी स्वामी भक्ति जहा और पन्ना सा बलिदान है
80 किलो का भाला प्रताप का, बरछी तीर कटार हैं
वीरता का विंब दिखता, राणा सांगा का गौरव गान है
दयाभाव है पृथ्वी जैसा, सतरह बार दिया क्षमादान है
शीश न्यौछावर कर देने बाली,हाड़ा रानी जैसी क्षत्राणी
और अंगारों मे जौहर करती रानी पद्मिनी की शान है
न हो जन गन मन मे गुणगान भले ही,
पर मात्रभूमि हित बलिदानों मे, सबसे पहले आए "राजस्थान"है!!

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भय!!
अवश्य ही बुरा है,
कुछ टूटने का, छूटने का, कुछ खो जाने का
भय सताता है, रुलाता है, मोह मे उलझाता है
बांध देता है, ढेर सारे अनचाहे बंधनों से!!
जब कभी तुम, खुद को भयभीत पाओ
भीड़ मे एकदम अकेला और निराश
तुम अपने भय से लड़ने सहारा मत ढूँढना,
ये बना देगा तुम्हे और भी कमज़ोर,बेसहारा!!
भय से लड़ना, मुश्किल जरूर होगा, पर नामुमकिन नही
तुम बस अपने अंदर की सारी ताकत को समेटना
और सामना करना,पूरे आत्मविश्वास के साथ
एक एक करके तुम्हारे सारे भय हार जाएंगे!
सारे बंधनों से आज़ाद, सारे भयों से मुक्त
तुम पाओगे खुद को सबसे ज्यादा स्वतंत्र!
और यही होगी तुम्हारी सबसे बड़ी जीत!
स्वयं के भयों पर जीत, "सबसे बड़ी जीत"!!

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न किसी की जी हुज़ूरी, न ही चीजें कीमती
बस एक नारी बनो,जो स्वाभिमान चाहती!
न ही अबला,न ही दुर्बल,न किसी के आसरे
अपनी धुन मे मस्त, जो सरफ़रोशी से चले!
तोड़ कर सब बंदिशे और त्याग मोह मृगमरीचिका
छोड़ रिश्ते भ्रम के, चुन तु खुदके रास्ते!
क्या बुरा और क्या भला, हर सत्य को स्वीकार कर
कौन क्या सोचेगा, इसकी बिन किए फ़िकर!
भूलकर शिकवा गिला, दिल से सबको माफ़ कर
न दिल मे रख गर्दिशे, अब हो जा तू बेफ़िकर!
गौर न कर गुजरे हुए पर, है यही"शर्त-ए-सफ़र"
हर दिन होती रहे तू,कर्तव्य पथ पर अग्रसर!
ढेर सी बाधाए हैं, और दर्ज़नो भर अटकले
बस खुद पर विश्वास रख, व शिखर तू चूमले!!

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किसी के मोह मे बंध जाना,
या बांध लेना ही मात्र प्रेम नही..
वरन् हर विपरीत परिस्थिति को
सहना सिखा देना भी प्रेम है!!

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कितने खुश हो तुम?

झांककर देखो जरा, अपने भीतर एकदम तह मे
आख़िर कितने खुश हैं तुम??
क्या हर खुशी के लिए, कोई कारण ढूढ़ना चाहते हो?
या देखकर खिलती कली,यूँ ही मुस्कुराते हो?
हर हवा का झोंका छूकर, आनंदित हो जाते हो?
बारिश की बूँदों से मिलकर, उनमे खोते जाते हो?
खाकर मिट्टी खेत की काली, सुखद सा सुख पाते हो?
देख तारों को टिम-टिमाते, आँखो में चमक भर पाते हो?
देख छोटे बच्चे को, क्या अनायास ही खिलखिलाते हो?
हर मिलने वाले राही पर तुम,ढेर सा प्रेम बरसाते हो?
और सबके साथ अपना सुख दुख बांट पाते हो?
क्या हर क्षण मे तुम, हसने के ढेर बहाने ढूँढ पाते हो?
अपने अंदरके खालीपन के साथ भी तुम खुश हो पाते हो?
तब तुम जान लेना, असल मे खुश हो तुम!!
सबसे ज्यादा "खुश".

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कितने खुश हो तुम?

झांककर देखो जरा, अपने भीतर एकदम तह मे
आख़िर कितने खुश हैं तुम??
क्या हर खुशी के लिए, कोई कारण ढूढ़ना चाहते हो?
या देखकर खिलती कली,यूँ ही मुस्कुराते हो?
हर हवा का झोंका छूकर, आनंदित हो जाते हो?
बारिश की बूँदों से मिलकर, उनमे खोते जाते हो?
खाकर मिट्टी खेत की काली, सुखद सा सुख पाते हो?
देख तारों को टिम-टिमाते, आँखो में चमक भर पाते हो?
देख छोटे बच्चे को, क्या अनायास ही खिलखिलाते हो?
हर मिलने वाले राही पर तुम,ढेर सा प्रेम बरसाते हो?
और सबके साथ अपना सुख दुख बांट पाते हो?
क्या हर क्षण मे तुम, हसने के ढेर बहाने ढूँढ पाते हो?
अपने अंदरके खालीपन के साथ भी तुम खुश हो पाते हो?
तब तुम जान लेना, असल मे खुश हो तुम!!
सबसे ज्यादा "खुश".

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दुःख, विरह और वेदना!!

दुःख, विरह और वेदना, भाग हैं जीवन के
किंतु
सारे दुःख तोड़ते बस नहीं अंदर से
विरह मात्र रुलाते नहीं
वेदनाए केवल सताती नहीं
वरन्
भर देते हैं अदम्य साहस से
मिलाते हैं आपको बिल्कुल नए "स्वयं" से
दिखाते हैं आपको जीवन के नये आयाम
मन बहलाने नए नए दृश्य
संजोते हैं नयी परिकल्पनाएँ
आकार लेती हैं नयी कलाएँ
और इस तरह जन्म लेता है
बिल्कुल नया और उत्कृष्ट कलाकार!!

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प्रेम !!
त्रासदी नहीं है कोई, प्रेम हो जाना!
पर यदि उसके वशीभूत होकर
तुम रंग लो,स्वयं को स्वार्थ से
हो जाओ, एक दम सीमित
विचलित न हो तुम्हारा हृदय
किसी की पीड़ा देखकर
समझ न पाओ किसी की व्यथा
हो ना पाओ तुम खुश
किसी और की खुशी में
कर न पाओ किसी अन्य जीव से प्रेम
तब समझ जाना....
तुम भूल चुके हो "प्रेम की परिभाषा"
प्रेम में पड़कर भूल जाना प्रेम को ही
होगी यही दुनिया की सबसे बड़ी"त्रासदी"!!


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ज़रूरी है कभी कभी खो देना होश,
हो जाना बेपरवाह, एकदम बेअक्ल, नासमझ
ना रह पाना अपने ही वश मे
भूलते जाना सब कुछ
बस लड़ते रहना पूरी ताकत से अपने अंदर,
उमड़ रहे विचारों के तूफान से!
फंसे रहना उधेड़बुन् में!
खुद को निर्बल व लाचार सा प्रतीत कराता ये तूफान
बना देता है असल मे बहुत मज़बूत,
गुजरने के बाद जिसके,रह जाता है बस एक खालीपन
जो असल मे भरा है ढेर सारे सुकून से
दे जाता है, असीमित ऊर्जा और ताकत, जो जरूरी है
सामना करने एक नये और बहुत बड़े तूफान का!!

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