सोने सी धरती इधर और चांदी सा असमान है
रंग रंगीलो रस भरयो प्यारो राजस्थान है!
भोला कण कण,धन्य पोखरण,उजला अम्बर,शोणित माटी
सर्द सर्द सी रातें और तपता रेगिस्तान है
रोटी ज्वार बाजरे की, चूरमा बाटी दाल है
लीलो घोड़ो, घूमर रमवा, वीरों का गौरव गान है
रंगीलो परिधान,और केसरिया पगड़ी की शान है
गढ़ चित्तौड़, हवा महल, झीलों की नगरी
भव्य किला आमेर का और थार का रेगिस्तान है
प्रेम सिखाते, प्रेम बताते है ढोला मारू के गीत जहा
और मीरा के एकतारे को मिलता, गिरधर का गुणगान है
चेतक सी स्वामी भक्ति जहा और पन्ना सा बलिदान है
80 किलो का भाला प्रताप का, बरछी तीर कटार हैं
वीरता का विंब दिखता, राणा सांगा का गौरव गान है
दयाभाव है पृथ्वी जैसा, सतरह बार दिया क्षमादान है
शीश न्यौछावर कर देने बाली,हाड़ा रानी जैसी क्षत्राणी
और अंगारों मे जौहर करती रानी पद्मिनी की शान है
न हो जन गन मन मे गुणगान भले ही,
पर मात्रभूमि हित बलिदानों मे, सबसे पहले आए "राजस्थान"है!!
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