ग़र हाथ कोई, तपती हुई ज़िन्दगी को
ठंडक का एहसास दिलाये
तो समझूँगी के आप हो
ग़र मन की उदासी को, कोई बिना कहे समझ जाये
तो समझूँगी के आप हो
ग़र गुस्से में भी, किसी को मेरी चिंता सताये
तो समझूँगी के आप हो
ग़र अपना सिर मेरी तरफ कर के
कोई कहे "कोई सर दबा दो यार"
तो समझूँगी के आप हो
ग़र कहे बिना कोई प्यार जताए,
और हर मोड़ पर साथ निभाए
तो समझना क्या हैं?
आप ही तो हो। ❤️
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