कभी फुर्सत मिले तो बताना ज़रूर...
कि वो कौन सी मुहब्बत थी जो हम न कर सके?
कभी याद आये तो सोचना ज़रूर...
कि वो कौन सी खुशी थी जो हम न दे सके?
जब तुम्हारी अंतरात्मा जवाब दे तो कहना ज़रूर...
दो जिस्म होकर भी जो हमेशा से एक थे,
कि वो कौन सी घड़ी थी जो हम थम न सके?
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