तुझे खोना भी नहीं चाहते,तेरा होना भी नहीं चाहते,
दफ़न कर के कुछ ख्वाइशों को रोना भी नहीं चाहते।
ख़्वाबों का जहान छोटा सही मगर सिर्फ अपना हो,
लबरेज़ हो गैरों से दिल का वो कोना भी नहीं चाहते।
सुना है बुरा सुलूक होता है आखिर में तोहफों के साथ,
तेरे दिए हुए रुमाल को अश्कों से धोना भी नहीं चाहते।
मेहबूब कहो या सितमगर कहो जो भी मर्ज़ी तुम्हारी,
उड़ाकर नींद तुम्हारी सुकून से सोना भी नहीं चाहते।
बचकाना हरकतों और नादानियों से भरे पड़े है लेकिन,
वक्ती तौर पे दिल बेहलाए वो खिलौना भी नहीं चाहते।
-