बदलती है दुनिया, बदलते हैं मौसम
बदलता सारा संसार हैं...
बेगैरत इस दुनिया मे,
नही बदलता तो बस, चाय का प्यार है।।
पिलो चाहे कितनो कप
तलब हर पल ही रहती बरकरार हैं...
घूंट घूंट में सुकून देती
सोम, मंगल, बुध रहे चाहे दिन भले इतवार हैं।।
दीवाना हु मैं "चाय" का
दिल पर मेरे बस इसी का अधिकार है
हर मर्ज की हैं यही एक दवा
बाकी सब बेकार हैं।।
©आदर्श कुमार अमन
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