Aadrash kumar Aman  
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Joined 7 August 2019


Joined 7 August 2019
25 AUG 2023 AT 22:47

ये बारिश का मौसम, नौकरी का ख्याल
पापा की उम्मीदें , हजारों सवाल
लवों पे खामोशी, मन मे बबाल
क्यों पूछतें हो यारों बेरोजगारों का हाल।।
©आदर्श कुमार अमन

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28 SEP 2022 AT 21:56


चेहरा लगे मुरझाया सा
दिखे जैसे सताया सा...
जिंदगी लगती हो जिसे बेकार
वही तो है साहेब, बेरोजगार😑
©आदर्श कुमार अमन

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11 MAY 2022 AT 10:52

चलो माना गया 'कोरोना',
पर छाई अब नई महामारी है।
सारे युवा संक्रमित इससे
कहलाता जो 'बेरोजगारी' हैं।।
©आदर्श कुमार अमन

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6 MAY 2022 AT 12:56

बाते दिल की दिल मे ही रह गयी
लब शांत रहा, खामोशी सारी बातें कह गयी।
दबा रखे थे जो कुछ, जख्म सीने में छुपा के
जाने क्यों कल रात, वो आंखों से बह गई।।
©आदर्श कुमार अमन

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30 APR 2022 AT 0:20

रातें हो चली है नींद का कोई पता नही,
दूरियां भी बढ़ गई, है जबकि कोई खता नही।।
©आदर्श कुमार अमन

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12 MAR 2022 AT 14:07

अनपढ़ ही क्यों न हो,
लड़कियां कभी जाहिल नही होती...
अपने अदाओ से मारती है
पर वो कातिल नही होती।
और मोहब्बत में सब कुछ
त्याग देते हैं ये मासूम लड़के..
जबकि लड़कियां बेइंतहा
इस मोहब्बत के काबिल नही होती।।
©आदर्श कुमार अमन

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12 JAN 2022 AT 20:04

दिन जब ढलती जाये
उम्र भी तब बढ़ती जाये..
बेरोजगारी का चोला ओढ़े
बोलो कोई कैसे मुस्कुराए....

राते काटने को दौड़ती
आइना भी नजर चुराए...
पढ़ाई करो पूरे मन से
और रिजल्ट तब भी न आये...
असफलताओ की ढेर पर बैठे
बोलो कोई कैसे मुस्कुराये...

छोटी छोटी बातें
जब दिल पर लग जाये..
और नाते रिश्ते फिर
सम्भल न पाये...
तन्हाई के इस पल मे
बोलो कोई कैसे मुस्कुराए....
© आदर्श कुमार अमन


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6 JAN 2022 AT 22:57

बातें करना चाहती हैं वो हमसे
पर जाने क्यों डरती हैं...
आँखे कह रही हैं उसकी
अश्को की धारा हर रोज बहती है!!
खामोशी अब ये उसकी
हर पल मुझे परेशान करती है..
खिल उठता है ये दिल मेरा
चेहरे पर उसके जब मुस्कान रहती हैं!!
काश कुछ ऐसा कमाल हो जाये
मेरे जैसा उसका भी हाल हो जाये..
और बनी रहे दोस्ती पहले की तरह
तो हमारे लिए भी मुबारक ये नया साल हो जाये!!
©आदर्श कुमार अमन

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24 DEC 2021 AT 21:18

जाने क्यों आज फिर दिल मेरा उदास हैं
बेवजह हैं मायूसी या कारण कोई खास है।
समझ नही आ रहा
कैसा अजीब ये अहसास है।।
©आदर्श कुमार अमन

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17 DEC 2021 AT 13:46

बदलती है दुनिया, बदलते हैं मौसम
बदलता सारा संसार हैं...
बेगैरत इस दुनिया मे,
नही बदलता तो बस, चाय का प्यार है।।

पिलो चाहे कितनो कप
तलब हर पल ही रहती बरकरार हैं...
घूंट घूंट में सुकून देती
सोम, मंगल, बुध रहे चाहे दिन भले इतवार हैं।।

दीवाना हु मैं "चाय" का
दिल पर मेरे बस इसी का अधिकार है
हर मर्ज की हैं यही एक दवा
बाकी सब बेकार हैं।।
©आदर्श कुमार अमन

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