ये जो तुम्हारे चेहरे पे काला तिल है
यकीन मानो ये तिल नहीं कातिल है-
आज का अखबार
गार्डन में हल्की धूप
बेंत वाली आराम कुर्सी
सामने टेबल पर रखी चाय
और चाय से उठता धुआं
पास में रखी प्लेट और
प्लेट में रखे ब्रेड और टोस्ट
सुकून की ये भी एक परिभाषा है।
सभी ने महसूस की होगी आशा है।-
मोहब्बत की थ्योरी में मुझे यह तर्क पता चला है
आज लब, तलब और मतलब में फ़र्क पता चला है-
कामयाबी की ज़िद है और अपनी ज़िद पर अड़ा हूँ मैं
विकट परिस्थितियों में भी अपना सीना ताने खड़ा हूँ मैं
जिम्मेदारियां उठाये कांधे पर, विपत्तियों से लड़ा हूँ मैं
बेशक बड़े घर का नही हूँ, पर अपने घर का बड़ा हूँ मैं-
क्यों हो रहा हताश तू, तुझसे ही तेरी होड़ है
थकते कदम न देख तू, ये हौसलों की दौड़ है
तेरे मन में है जो गूँजता, तेरे स्वप्न का जो शोर है
गूंजे उसी से दस-दिशा, चल विजय जिस ओर है-
आओ समाज की इन जिम्मेदारियों को आधी कर दें।
क्यों न हम साल 2021 की 2019 से शादी कर दें?-
कल तक तो बच्चा था, सोचा न था आज बड़ा हो जाएगा
खैर छोड़ो, कुछ ही दिनों में अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा-
20 की उम्र में हवा लग गयी थी, 21 में शायद सुधर जाए
निपटा दो साले इस साल को, इससे पहले इधर उधर जाए-
एक हम हैं जो शायरी लिख लिख ग़ालिब हुए जा रहे हैं
और एक ये कमबख्त कैलेंडर हैं, बालिग हुए जा रहे हैं-
तुम साला किक मारते रह गए स्प्लेंडर को
इधर साल इक्कीसवाँ लग गया है कैलेंडर को-