Aaditya Gawas   (आदित्य)
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Joined 29 March 2019


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19 JUN AT 4:04

बारिश की बूंदें कुछ यूंँ छू गई मुझे तेरा ज़िक्र बन कर,
उम्मीद हुई के कहीं तू भी इन बूँदों में भीग रहा होगा...

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25 MAY AT 0:27

तुम्हारी खुशबू की महक हमसे कुछ ऐसे वाक़िफ़ हुई,
अलमारी में पड़ी सारी इत्र की शीशियाँ मुझसे खफ़ा हो गई|

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14 APR AT 23:58

एक रूहानी सिलसिला है इश्क़ जो इंसानों से होता है,
जहा समझौते ज़्यादा वाजिब लगें वो निकाह अक्सर हालातों से होता हैं।

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21 MAR AT 22:30

अतीत की लिखि कुछ पंक्तियाँ आज भी पढ़कर ताजा लगती है,
वक़्त तो ख़ामोशी से गुजर गया ये जज़्बातों की लिखाई तो रोज बदलती रहती हैI

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8 MAR AT 2:21

जिसे पाने चले थे शायद उसी को भुला दिया गया है,
तलाश तो किसी मंज़िल की थी मगर राहो से इश्क़ हो गया है|

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6 FEB AT 1:46

न मोहब्बत पाने की चाह और न उसे मुकम्मल करने का इंतजार हैं,
ये आज की नस्लों को बस मोहब्बत होने के एहसास में जीना हैं।

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31 DEC 2024 AT 19:51

क्या पाया,क्या खोया क्यों तू इस कशमकश में अड़ा है,
बस चंद घंटो का रह गया यह साल भी, कल एक और दिसंबर इंतज़ार मे खड़ा है|

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27 NOV 2024 AT 0:02

कामयाबी का शोर तो हर किसी के कानों में गूँजता है,
बस ये कश्मकश की आहट कुछ चुनिंदा ही ग़ौर से सुनते है|

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12 JUL 2024 AT 23:02

जरा भी मुश्किल नही है तुम्हारा इस इम्तिहान में अव्वल आना,
आखिर सवालों से घिरी इस दुनिया में एक आसान जवाब सी हो तुम|

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7 JUL 2024 AT 23:27

भरी बरसात में ये छाता तेरी ओर कुछ ज्यादा झुक सा जाता है,
ये आधा भीगना भी अकसर पूरा इतमीनान दिए जाता है|

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