Aaditya ..   (©aadi_sai)
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Joined 20 October 2019


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9 HOURS AGO

मुहब्बत कोई सौदा नहीं था मेरे लिए दिल चीरकर रख दिया था
एक गुलाब दे उसके निकाह के लिए उसे रुखसत कर दिया था

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21 HOURS AGO

वो ऑंखों के इशारों से मुझे बेज़ार कर देता है
बाहों के घेरों से ही मुझे आफ़ताब कर देता है।।

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19 JUN AT 23:27

मुहब्बत किसी और से मेंहदी किसी और के नाम की
क्या हुआ जो लकीरें नहीं सांसें लेती तेरे ही नाम की

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19 JUN AT 20:29

सीधे सीधे रह रह कर सब उल्लू सीधा कर गए
सब अपना अपना देख रहे हम सीधे ही रह गए
छोड़ आए हैं सीधापन अब बहुत हो गई सिधाई
जिसका जैसा बर्ताव उसको वैसी मिले भलाई

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19 JUN AT 15:03

ना जाने किस-किस से छिपकर तुझसे मिलने आए हैं,
ऐसे ही मुहब्बत-ए-सुकूॅंन देना जान हथेली पे लाए हैं।

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18 JUN AT 22:37

काश! होता उनका मुझ पर लुत्फ़-ओ-करम
दीदार को ना तरसते करते जो हम पर रहम

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18 JUN AT 18:47

कोरे कागज़ सा इंसान भेजा था ख़ालिक़ ने धरती पे,
लिख लिख कर कुरेद दिया जज़्बातों को कागज़ पे।

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18 JUN AT 17:55

घर के साथ दिल भी छोड़ कर आए हैं
चाभी किसी और के नाम कर आए हैं


और सूनी पड़ी हैं दीवारें वहां की अब
घर को छोड़ कमाने जो बाहर आए हैं

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18 JUN AT 17:42

दीवारों से बने घर में दिल कहां रहते
मुहब्बत करने वाले गलियों में फिरते

चाभी तो ख़ुदा के पास छोड़ आए सब
यहां तो सब किराए के मकान में रहते

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17 JUN AT 18:52

उसकी बक़ा की ख़ातिर ख़ुद को क़ज़ा कर आए हैं।
बिना ज़ुर्म के ही ख़ुद को मुल्जिम क़ुबूल कर आए हैं।

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