जिंदगी तेरे लिए हम क्या से क्या हो गए,
मुस्कुराते हुए चेहरे कब उदास से हो गए,
और कई-कई मर्दबा गिराया तूने मुझको,
खुले हाथों से ज़हर भी हॅंसकर पी गए।-
Aaditya ..
(©aadi_sai)
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A poet ...
Hey friends !!
POETRY:- ||HAAL-E-DIL ||
| ADITYA PRAKASH|
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Joined 20 October 2019
8 HOURS AGO
28 APR AT 17:49
वो सफ़्फ़ाक खून का क़तरा क़तरा ले गया,
मैं मोहब्बत में था फ़कत हॅंसकर बह गया।-
4 JAN AT 7:41
सुबह से शाम तक कितना ही मशरूफ रह लूं,
पास होना जरूरी तो नहीं रातें काट लेता हूं बग़ैर..!-
1 JAN AT 18:28
ना भीड़ में कोई अपना ना अकेली शाम हो
सिखा गया मुझे मुहब्बत में कैसे आराम हो-
27 DEC 2024 AT 20:43
सुख़न वर तुझसे दूर रहकर भी तेरा ही होना है मुझे,
बात न हो फ़िर भी हर एहसास महसूस होना है मुझे।
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25 DEC 2024 AT 20:50
ज़िंदगी को मत समझ उधार,
जिंदगी है उपहार।
ज़िंदगी को मत समझ वनवास,
ज़िंदगी है सदाबहार।
ज़िंदगी को खुली आँखों से देख,
इबादत है यार।-
23 DEC 2024 AT 18:16
अमाॅं मिल जाए तेरी छाॅंव में फ़िर किसी और की दरकार क्या !!
वो और लोग थे जिन्हें खुदा ने पनाह बड़ी फ़ुर्सत से नेमत की !!
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22 DEC 2024 AT 21:24
ना गर्मियों ने ना सावन ने ना सर्दियों ने इजाज़त दी ही नहीं,
आग लगी हर जगह पर हमारे दरम्यान कभी लगी ही नहीं।-