आदित्य सोनी   (आदित्य सोनी)
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Joined 13 January 2018


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Joined 13 January 2018
12 SEP 2024 AT 11:43



हमने सोचा नहीं था ये हो जाएगा,
मेरा दिल तेरे दिल में खो जाएगा।
एक रोज़ मेरी नज़र उन पर पड़ी,
वो एक दुकान की चौखट पर खड़ी थी।
मैंने झुक कर कहा, 'धूप है, जल जाओगी,
गोरी रंगत है, अब ढल जाओगी।'
अब वो आँखों से ज़ुल्फें हटाने लगी,
उन अदाओं से मेरा दिल पिघल जाएगा।
हमने सोचा नहीं था ये हो जाएगा।
जिस शहर की ये खूबसूरत आईना हैं,
देख लेना वो शहर भी जल जाएगा।
हमने सोचा नहीं था ये भी ढल जाएगा।

अब वो बातों में जादू जगाने लगी,
मेरी दुनिया को ख़्वाबों में लाने लगी।
दिल के क़िस्से वो चुपके से कहने लगी,
लग रहा था, कहानी बदल जाएगी।

जिस गली में वो अक्सर मिला करती थी,
अब वो गली भी सुनसान हो जाएगी।
हमने सोचा न था ये हो जाएगा,
ये फ़साना यूं ही ख़त्म हो जाएगा।

चांदनी रात थी, और वो पास थी,
मेरी हालत पे वो भी हंसने लगी।
हमने सोचा न था ये हो जाएगा,
दर्द दिल में हमेशा रह जाएगा।

अब वो चाहत के रंगों में रंगने लगी,
मेरे दिल की हर धड़कन समझने लगी।
होंठ खामोश थे, पर निगाहें कहें,
कुछ नया इस कहानी में ढल जाएगा।

जो कभी ख़्वाब थे वो हक़ीक़त बने,
रात दिन की तरह एक दास्तां में सने।
हमने सोचा न था ये भी होगा कभी,
ज़िन्दगी का हर लम्हा बदल जाएगा।

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है नन्ही सी जान मुझमें
वो ख़ुद के लिए टकराती तो है,
बातें छोटी सी हो मगर
पर बात रखने आती तो है।
सहसा ही हिम्मत जागी हो मुझमें
पर जागीर लेनी आती तो है।

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पृथ्वी के समस्त जीवों का निशुल्क शिक्षक वासुदेव हैं।

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नवाबी अपनी मेहनत से करता हूं,
क़िस्मत वाले तो गुलामी करते हैं।

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मेरे अपने मुझे याद रखे या ना रखे,
मैं अपने दुश्मनों के लबों पर अब भी जिंदा हूं।

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11 MAR 2022 AT 14:49

ना किये थे शरम ना कभी ये करेंगे
अटल थे इरादे अटल ही रहेंगे,
जमुरियत -ए- हिन्द है मेरी इसी के रहेंगे
ना डिगे थे कदम ये अडिग ही रहेंगे।

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नींद की अंगड़ाई ही देख
वो नजरे चुराने लगे है,
महफिल सजाते थे जो
अब मजलूमों के दरवाजे आने लगे है।
समय का पहिया है ये पल
आज तुम्हारा तो हमारा भी कल,
लब खोलने की हिम्मत ना थी जिनमे
देखो! अब वो भी गुर्राने लगे है।
नेतृत्व किया है तुमने तो
नेत्र-हीन हम भी नही हैं;
ईख् का सगा रहा नही जो
समता के सुर अब गाने लगे हैं।
तख्त सहारे से नही
वो सिर्फ मेधा की मोहताज़ हैं;
पग हिल जाते हो धरा पर जिसके
वो भी शासन के सपने सजाने लगे हैं।

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स्वागत है सम की संख्या से
अब समानता सब मे रखो
न कोई उच्च ना ही नीच रखो।

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