ऐसे दस्तूर को,सुब्ह-ए-बे-नूर को मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता फूल शाख़ों पे खिलने लगे तुम कहो चाक सीनों के सिलने लगे तुम कहो इस खुले झूठ को ज़ेहन की लूट को मैं नहीं मानता,मैं नहीं जानता चारागर दर्दमंदों के बनते हो क्यूँ तुम नहीं चारागर कोई माने मगर मैं नहीं मानता,मैं नहीं जानता - हबीब जालिब
कहां बोलना है, कितना बोलना है ये घटनाएं तय नहीं करती तय करता है राज्य में सरकार किसकी है तय करता है अपराधी का धर्म और जाति तय करती हैं हमारी राजनीतिक पसंदें या नापसंदें हम कभी निष्पक्ष या तटस्थ नहीं हो पाते और इसीलिए ये राजनीतिक आका हमारा फायदा उठा पाते हैं
ढाल में ढले समय की, शस्त्र में ढले सदा सूर्य थे मगर वो सरल, दीप से जले सदा ताप में तपे स्वयं ही, स्वर्ण से गले सदा राम ऐसा पथ है, जिसपे राम ही चले सदा
दुःख में भी अभाव का, अभाव सिर्फ राम हैं भाव सूचिया बहुत है, भाव सिर्फ राम हैं - अमन अक्षर
श्री राम की चारित्रिक विशेषताओं को हम लोग आत्मसात् करें , ऐसी कामना करते हुए सभी लोगों को भूमिपूजन की शुभकामनाएं 🙏