The sperm baby
part :9-
आध्या रेणु
(आध्या रेणु)
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मुस्कराइए की आप मेरे प्रोफाइल पर है...
कुछ धीर गम्भीर, कुछ हँसी की फूलझड़ी,
कुछ मौन, कुछ ब... read more
कुछ धीर गम्भीर, कुछ हँसी की फूलझड़ी,
कुछ मौन, कुछ ब... read more
Joined 22 June 2018
23 JUL AT 10:01
उसके दामन में पैबंद दिख रहे हैं,
ए खुदा, तेरा बन्दा सताया हुआ लगता है..।-
12 JUL AT 8:04
धूप... ।
धरा जब ग्रीष्म ऋतु के प्रभाव से तप्त हुई, उसके भीतर ज्वाला धधकने लगी, सूर्य की तेज किरणें जैसे धरा की त्वचा के भीतर किसी सुई की नोक सी चुभती थी...।
धीरे - धीरे बारिशें हुईं धरती मन भर भीगी, आकाश में काले मेघ का घुमड़ना, दहाड़ना, पेड़ों के पत्तियों से नृत्य करती ठण्डी बयार और रिमझिम की बूंदे, अहा मनोहर दृश्य, धरा तृप्त हुई हरा दुशाला ओढ़े उसका रूप नैनो को सुकून देने लगा..., मगर ये बारिशें भी अड गयी, विकराल रूप धर तबाही ले आयी, बाढ़, तूफ़ान, जल का प्रकोप, फिर धरा सहम गयी..।
धरा की बेबस स्थिति देख यूँ सर्दियाँ आ गयी, सर्दियां.. ठण्डी शीतल लहरे, किन्तु अब सब धूप तलाश रहे थे भीनी - भीनी सी धूप... ।
क्या समझे?-