Aaaaaaaa Pppppppp   (आरती पालीवाल😇👸)
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लफ्ज़ जो अनछुहे नही हो सकते
और एहसास लफ्ज़ मे बया नही हो सकते!
Joined 11 April 2018


लफ्ज़ जो अनछुहे नही हो सकते
और एहसास लफ्ज़ मे बया नही हो सकते!
Joined 11 April 2018
20 DEC 2021 AT 16:52

मेरे अंदर ख्यालो का बावन्डर सा है
आस पास शांत लहर अंदर समुंदर सा है
बहुत बार गिरने के बाद सम्भलना सिखा मैने
आज भी मन मे अंदर घाव सा है!

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28 NOV 2021 AT 20:38

नजाकत समझ जाते तो एहतियात रखते
बिना मर्ज के दवा रखते
साहिल तो हम हमेशा से थे
आज एक कतरा है इसलिए तुझसे जुदा रखते
मन बना लेते गर तुम साथ जीने का
कदमो मे जहाँ पलको मे तेरे ख्वाब रखते
नजाकत समझ जाते तो एहतियात रखते
बिना मर्ज के दवा रखते!

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23 NOV 2021 AT 21:20

जब सारी सोच से परे होती हु
खुद से भी जब मजबूर होती हु
जब लब सिल जाते है, और मन कहना भी बहुत कुछ चाहता है
भला बुरा - तेरा मेरा से कोशों दूर होती हु
आँखे छलकती नही, होंठ मुस्कुराने की कोशिश करते है
ना चाहते हुए भी जब आपको परेशान करती हु
हर जवाब जानती हु फिर भी कितने सवाल करती हु
सच बताऊ पापा
जब भी दुर रहती हु पल - पल आपको याद करती हु
Miss u

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16 NOV 2021 AT 20:23

अधूरे पन के एहसासो से पूछो
वो तुम्हे कितना याद करते है
बदल दोगे अपने सभी विचार
जब जानोगे खुद से ज्यादा वो तुम्हे प्यार करते है

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8 NOV 2021 AT 11:36

तुमसे मिल के आने के बाद
बड़ा बुरा बुरा सा लगा
छोड़ आई मे अपनी आत्मा तेरे पास
शरीर खाली खाली सा लगा
तुमसे मिल के आने के बाद
सब कुछ अधूरा अधूरा सा लगा!

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5 NOV 2021 AT 20:27

हा मे हु आजाद परिंदा
ना आसमां है ना कोई घरौंदा
हो गई आधी आधी ज़िंदगी सुख दुख की पहेली पर
अब नही कोई खलिश बाकी चुनिंदा
हा मे हु आजाद परिंदा!

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1 NOV 2021 AT 20:38


एक भूली हुई शाम
भूली बिसरी यादे
एक भुला हुआ कहर!

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29 OCT 2021 AT 18:04

नही पता थी वजह यादो की
ना ही पता था गुनगुनाने का मतलब
सर्द मौसम मे मौंन कहता एहसास तेरे
बारिश की बुंदो मे लफ्ज़ तुम्हारे
सच नही पता था
तुम्हारे होने का मतलब
न ही पता थी वजह मेरे होने की

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29 OCT 2021 AT 17:53

तेरी आँखो की अशिक़ी अब समझने लगे है
यादो के समुंदर मे धीरे धीरे डूबने लगे है
दूर दूर - पास पास फासले लगने लगे है
लगता है अब तेरे लिए ही जिने और मरने लगे है!

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27 OCT 2021 AT 17:10

रूठा हुआ समुंदर
लगता है आज किनारे लौट आया है
छूकर बताने लगा अपने मन की गुफ्त-गु
लगता है पुरानी उकरी हुई रेत को सेहलाने आया है
तलब याद तो उसको आती होगी उजाड़े घरों को
लगता है यार के एहसासों को मिटाने आया है
रूठा हुआ समुंदर
लगता है आज किनारे लौट आया है

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