A Yush   (satyam)
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Joined 2 August 2019


Joined 2 August 2019
13 FEB 2021 AT 19:23

घटपरही

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19 JAN 2021 AT 13:28

उठ रही तरकीबें अपनी पहचान बनाने की
खुद को खुद से बेहतर इंसान बनाने की
ज़रा सी दरारें क्या आयी घरों की दीवारों पर
शाजिशें होने लगी आसमान बनाने की
और अभी तो देख रहे थे तमाशा हाथ पे हाथ धरे
अब तैयारी है इस जंग को घमासान बनाने की
ज़रा सा खरोंच क्या अाई बह चले जलजले लहू के
क्या यही कीमत है मजहबी ईमान बनाने की
भेज रहें है संदेशे सभी कबूतरों के हाथ
पर कोशिशें है अमन ए कब्रिस्तान बनाने की
सहम उठेंगे जब धधक चलेगी इनकी कुर्सी पे आग
अभी तो तर रहे दरिया बेबस को शैतान बनाने की
कुछ सरफिरे से लोग हैं यहां हमारी तरह भी
जो तौर सिखाते है बेहतर आवाम बनाने की

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14 JAN 2021 AT 21:46

इश्क़ की चाय अब ग्लास में वाइन हो गया है
वो मेरी है शी इज माइन हो गया है
इक तू ही है जिसे फ़र्ज़ है पर्देदारी का रिवाज़
अब तो लोगों का इश्क़ भी ऑनलाइन हो गया है

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16 NOV 2020 AT 22:37

अब की जानिब तुम मेरे पास आई हो
दिल तोड़ने का कोई नया तरीका लाई हो
मै तो जीते जी तेरी निगाहों की जद में रहा
क्या तुम मेरी कसमें वादे भूल पाई हो
तुम में तो सब कुछ मुझ जैसा बसर करता है
क्या तुम भी मोहब्बत में धोखा खाई हो
कभी मै नहीं रहा कभी तुम नहीं रही
और कब तलक इस चाहत में बेवफ़ाई हो
मै किस हक से जोड़ लूं दोनों नाम एक साथ
तुम किसी और का चराग और रोशनी पराई हो
कुछ यूं सुकून मयस्सर है तेरी हर मुलाकातों में
जैसे किसी ला इलाज बीमारी की दवाई हो
खिल उठता हूं किसी फूल सा तुझे देख कर
मेरी जां तुम तो मेरा हौसला अफजाई हो
अब न कहना की तुम है मोहब्बत में बेगैरत हो
गर हुआ ऐसा तो तुम ही सनम हरजाई हो
कभी मिल चले अगर मुसाफ़िरत के रास्तों में
तू ज़रा करीब आए तो ख़ुदा की खुदाई हो
तेरे नज़रानों को देखते मेरा जी नहीं भरता
तू जैसे कोई ग़ज़ल और खय्याम की रूबाई हो
अब इस दौर में भी अगर ये आवाज़ ना पहुंची तुझ तक
ख़ुदा करे मैं से जाऊं और उल्टी चारपाई हो

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16 NOV 2020 AT 22:18

अब की जानिब तुम मेरे पास आई हो
दिल तोड़ने का कोई नया तरीका लाई हो
मै तो जीते जी तेरी निगाहों की जद में रहा
क्या तुम मेरी कसमें वादे भूल पाई हो
तुम में तो सब कुछ मुझ जैसा बसर करता है
क्या तुम भी मोहब्बत में धोखा खाई हो
कभी मै नहीं रहा कभी तुम नहीं रही
और कब तलक इस चाहत में बेवफ़ाई हो
मै किस हक से जोड़ लूं दोनों नाम एक साथ
तुम किसी और का चराग और रोशनी पराई हो
कुछ यूं सुकून मयस्सर है तेरी हर मुलाकातों में
जैसे किसी ला इलाज बीमारी की दवाई हो
खिल उठता हूं किसी फूल सा तुझे देख कर
मेरी जां तुम तो मेरा हौसला अफजाई हो
अब न कहना की तुम है मोहब्बत में बेगैरत हो
गर हुआ ऐसा तो तुम ही सनम हरजाई हो
कभी मिल चले अगर मुसाफ़िरत के रास्तों में
तू ज़रा करीब आए तो ख़ुदा की खुदाई हो
तेरे नज़रानों को देखते मेरा जी नहीं भरता
तू जैसे कोई ग़ज़ल और खय्याम की रूबाई हो
अब इस दौर में भी अगर ये आवाज़ ना पहुंची तुझ तक
ख़ुदा करे मैं सो जाऊं और उल्टी चारपाई हो

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7 OCT 2020 AT 11:42

ख़ाली बोतल भी संभाल रक्खा है
एक घर में दो मुहा सांप पाल रखा है
जिनके ज़ुबां में अमृत और दिल में ज़हर है
हमारे पुरखों ने हमें ऐसे सांचे में ढाल रखा है
इस मतलबी दुनिया के साथ चलने को कहते हैं
ये तौर निभाने का तरीका भी बेमिसाल रखा हैं
अब फिर से उनकी वही झूठी मोहब्बत है
अब फिर से उनके लिए दिल निकाल रखा है
ये उनकी मर्जी है आने जाने की
मैंने दरवाजा खुला तो हर साल रखा है
मेरी तड़प का सवाब देखकर झूम उठते हैं वो
उनके लिए ही तो हमने अपना हाल बेहाल रखा है
हम तो मोह के धागों से रिश्ते बना रहे थे
उन्हीं धागों के परत में बर्बादी का जाल रखा है
हर कदम पर खतरा हर कदम संभल कर चलो
यहां हर किसी ने वजीर - ए - चाल रखा है

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2 OCT 2020 AT 13:40

वो क्या खता थी मोहब्बत की
जो तुम यूं बेगैरत हो रही हो
मै तेरे इश्क़ में तन्हा जी रहा हूं
तुम मेरे बाद क्या चैन से सो रही हो
ये बारिश क्यूं बेचैन करती है मुझे
क्या ये तुम हो जो मेरे गम में रो रही हो
मै आज भी तेरी गलियों की कलियों की बागवानी कर रहा
क्या तुम अब किसी और के सावन संजो रही हो
जिस इश्क़ में हूं एक साथ पूरी रात जगा करते थे
उस इश्क़ में मुफलिसी में किसी गैर की बाहों में सो रही हो
कल तलक सवाल थे मेरी मौजूदगी के
आज मेरी तन्हाई में तुम बद से बदतर हो रही हो
हो रहा हूं मै बर्बाद कोई हैरत तो नहीं
जिस्म पा कर तुम मेरी रूह का कतरा - कतरा खो रही हो

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11 SEP 2020 AT 19:55

दिल तू आज फिर अपने जिस्म से नादानी कर रहा है
जो बीत गई याद वो बात पुरानी कर रहा है
किसी ज़ाहिल से कम नहीं मेरे अंदर का आदमी भी
अपने ही मुरझाए बगीचों की बागवानी कर रहा है
कल तलक तो जी उठता था गैरों को देख कर
आज अपने रिश्ते निभाने में ही आना - कानी कर रहा है
ये क्या तौर - तरीके हैं तेरी बेपरवाहियों का
क्या तू भी ये रईसी खानदानी कर रहा है
जिस वक़्त वो उठा और चल दिया रौनक ए महफ़िल से
समझ लेना कि शायर अपनी मनमानी कर रहा है
अरे वो बेवफ़ा पर मै तो तेरा यार हूं
तू क्यूं अपने लफ़्ज़ों से उसकी बदजुबानी कर रहा है

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2 SEP 2020 AT 21:09

MK और AWM की लूट हो गई धराशाई
जब बैन हुआ PUBG तो सस्ते GAMES की याद आयी
रैंक पुश करने का शौक अब पड़ गया ठंडा
ना है अब military base और न ही कोई बंदा
4 GB का गेम 1.5 पे आके अटका
NUKETOWN तो आ गया पर ना होगा gatka
TEMPLE में अब दोबारा ना होगा भौकाल
COD का डंका अब बजेगा हर साल
waste हो गया लोगों का खरीदा रॉयल पास
ना चलेगी barrel ना होगा टाइम पास
अब तो ना कोई mode होगा ना होगा कोई type
ना होगा squad house ना होगी squad वाइप
इस हाल में अब ये दिन बीतेंगे
अब ना होगी chiken dinner की खुशी ना ही AIM assist सीखेंगे

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28 AUG 2020 AT 19:24

खुद को तोड़ देंगे और तुझको जुदा करेगें
तेरे बाद भी तेरी सोहबत की दुआ करेंगे
तू जो कहती है ना ऐसे हो ,कैसे हो पता नहीं किसके जैसे हो
तेरे बाद हम खुद से बेहतर हुआ करेंगे

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