A S N   (© Ali Safdar Naqvi)
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Joined 25 November 2018


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11 JUN AT 16:19

कर के बेताब जज़्बात जगा देती हो तुम
और मेरी होकर भी बेहद फासले पर रहती हो तुम
कैसे करे हम तुमसे बातें
कभी जो हो फुर्सत तो आकर बैठो
जब हो प्यार भरी बातें ।।

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11 JUN AT 15:56

लगा के बिंदी पहैन के कंगन करे है वो तेरा इंतेज़ार
आ भी जा संवारिया बनी बैठी है वो बावरिया ।।

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11 JUN AT 2:21

मैं जाते जाते ठहर जाता
रुकता और
तुम्हारी सभी बातें भी सुनता
ना तो तुमने रोका ही और
ना पुकारा ही मुझे
तो फिर अब कैसा
शिकवा है मुझसे।।

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9 JUN AT 18:09

Lamhe fursat k dhundta hai dil raat o din
Milegi kab fursat puchta hai dil raat o din

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9 JUN AT 18:08

Besabab usko dekh leta hu mai
Ankho ko band karta hu
aur usko mehsoos kar leta hu mai

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9 JUN AT 1:32

शोर करती है
सवाल करती है
कभी बातें भी करती है
सन्नाटे भी भरती है
सुनती है सुनाती है
रुलाती है
और
शोर कर के
सुबह तक छोड़ जाती है ।।

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8 JUN AT 22:51

हमें जो नही मिली फुर्सत तो
उन्होंने भी नही किया याद ।।

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8 JUN AT 20:48

मेरी पसंद हो तुम
मुझे बेहद पसंद भी हो तुम ।।

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8 JUN AT 20:43

ताज़ीम में झुक कर उनको सलाम क्या कर लिया
उस कमज़र्फ तो हमें हक़ीर ही समझ लिया ।।

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27 MAY AT 3:12

मै स्वयं को दर्पण मे देखु के मै स्वयं क्या हुँ
और कोई मुझे देखे तो सोचे के मैं क्या हुँ
न मेरी काया रही है ना मैं ही मैं रही हुँ
सुंदरता समाप्त हो रही है
और मैं दिन बा दिन बिखर रही हुँ
ना मन को शांति है
ना जीवन मे प्रेम है
बस संसार मे है तन
मगर संसार मे,
कुछ भी सांसारिक नही है
मतभेद है मनभेद है परंतु
कुछ भी मनभावान नही है

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