"सब कुछ तो है अब क्या चाहिए जीवन में" अमूमन ये बातें कामकाजी महिलाओं के कानों में पड़ती ही रहती हैं,अपना कमा रही हो,आत्मनिर्भर हो और क्या चाहिए हमको ये मिलता तो पता नहीं कितना अच्छे से करते...
कामकाजी होते हुए आप जीवन में कितना कुछ मिस कर देते हैं ये सिर्फ और सिर्फ़ आप जानते है... कईयों किलोमीटर काम पर पहुंचने से पहले आपको जल्दी उठना है,नाश्ता-खाना,ख़ुद का टिफिन और पीछे रह गए लोगों की सारी व्यवस्था सब देखना होता है,WHO के सर्वे के मुताबिक़ ज्यादातर कामकाजी महिलाएं एनिमिक हैं क्यूंकि सभी कामों के बीच जो काम न करना सबसे आसान है वो है ख़ुद का ध्यान रखना।
घर पर रह रही महिलाओं के पास समय है खुद को संवारने का,खूबसूरत दिखने का,चाची-मामी-मौसी से घंटों बतियाने का
पर....कामकाजी महिलाओं के ख़ाली समय में भी दिमाग में ये चलता है की कल का कौन सा काम आज निपटा लिया जाए।
खुद को पैंपर करने की बात तो दूर हम दूसरों से भी ये अपेक्षा करना छोड़ देते हैं।
"आज ये खाने का मन है"
"अरे तो वापस आते वक्त लेती आती"जैसी बातें सुनने के बाद खाने के साथ कहने की इच्छा भी मर सी जाती है।
हम कामकाजी हैं तो ये हमारा अपना निजी चुनाव है,यकीनन है पर जिम्मेदारियां उठाते,भागते दौड़ते इंसानी मशीन बने हम लोगों को कभी तो प्यार से इतना तो कहा ही जा सकता है,
"सच में तुम मेहनत करती हो यार,ये आसान तो बिल्कुल भी नहीं है।"
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