A NEW DAWN   (Rabiya Nizam)
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Born on Aug 20...a Person who like darkness better than light
Joined 1 October 2019


Born on Aug 20...a Person who like darkness better than light
Joined 1 October 2019
8 MAR AT 12:17

ये सोचा मैंने
कि अगर ला दूं
तुम्हें गुलमोहर के फूल
तो तुम क्या करोगे?
रखोगे उसे किताबों के बीच
और छप जाने दोगे,
तुम्हारी पसंदीदा उपन्यास की लाइनें
या उसे छुपा दोगे दराज़ में
सफ़ेद रूमाल में, सबकी नज़रों से दूर
और मुस्कुराओगे उन्हें अकेले में देख कर,
या बैठोगे उसे लेकर घाट पर
और लिखोगे एक कविता
या फिर रख दोगे उन्हें तकिए के नीचे
और सो जाओगे
उन्हें सीने से लगा कर,
फिर याद आया तुम्हें पसंद नहीं फूल
ना कुछ और, जो कुछ भी मैंने दिया हो,
तुम्हें पसंद नहीं मैं,
पर ख्याल, इनका क्या करें?
ये हर जगह तुम्हें खींच लाते हैं!

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19 FEB AT 9:13

अब प्रेमी कविताएं नहीं लिखते
ना लिखती हैं प्रेमिकाएं पत्र,
अब लिखे जाते हैं संदेश
पर दूरभाष यंत्रों पर,
भाव के अभाव में
भावना से शून्य,
तो अब जो मैंने तुमसे प्रेम किया है
तो चाहती हूं आए तुम्हारे हिस्से में ...
कुछ काव्य, कुछ पत्र !
जिन्हे लिखकर मैं भीगा दूं गुलाब के इत्र में ,
की जिसे खोलने पर तुम्हें भान हो मेरे आने का,
और जान सको क्या छिपा है ,
मेरे हृदय द्वार के पीछे !
कविताएं वो जिसकी प्रेरणा तुम हो
और पत्र वो, जो बस तुम्हें समर्पित हों
और मैं कह दूं उसमे वो सब कुछ..
क्या कुछ? जो अगर पूछो तो बताऊं
की कैसे पा जाती हूं मैं तुम्हें
स्टेशन की बेंच पर
चाय की टपरियों पर;
कैसे दिखता है मुझे..
रेल की खिड़की के शीशों में तुम्हारा प्रतिबिंब
और कैसे एक एक पल तुम और मेरे हो जाते हो
मैं वो सब लिख देना चाहती हूं
उस एक पत्र में, को तुम्हारे हिस्से का है
हां बस कुछ पत्र
तुम्हारा प्रेम पत्र!

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17 FEB AT 19:14

जो पुरुष समस्त संसार जीत कर
हार जाते हैं अपनी पत्नियों से,
वो पराजित नहीं होते, अपितु होते हैं विजेता
जिन्होंने तोड़े होते हैं बांध पितृसत्ता के,
जिनके हृदय में है अगाध प्रेम,
वो वरन उनके मन में समाहित नहीं रह सकता,
वो जानते हैं स्त्री के मन को,
उसके समर्पण को,
कि कैसे आषाढ़ की एक बूंद,
खोल देती है इसके मन के द्वार
जहां उसने समेट रखी है वो पगडंडियां
और उसकी किनारे गिरी अमिया
और वो मोगरे के फूल,
जो गांव से शहर की तरफ जाती हुई सड़क पर झरते थे,
और कैसे उनका एक एक प्रेमपूर्ण अलंकार
प्रेरित करता है उनकी अर्धांगनियों को,
समर्पित और न्योछावर कर देने को
वो प्रेम, वो श्रद्धा, वो अपनत्व, वो जीवन
जो उसने वर्षों अपने हृदय के तिजोरियों में बंद कर रखे थे,
वो जानते हैं, की वो हारे नहीं
वरन उन्हें मिली है वो जीत
जो संसार के हर जीत से श्रेष्ठ है।

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19 JAN AT 11:20

It is truly intriguing how individuals come to appreciate the value of something only after it has slipped through their fingers.

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30 OCT 2024 AT 21:12

बचपन का प्यार तो मासूमियत की गवाही है,
मुहब्बत देखनी हो रिश्तों में तो सयानेपन में देखो।

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21 OCT 2024 AT 21:44

Ode to the Whispered Promise
(In captions)

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12 OCT 2024 AT 17:59

I find them not within my mind's embrace,
Those fleeting shades of yore, now lost to time.
The laughter, once a melody so sweet,
The tears that fell like rain upon the ground,
The hopes that danced upon the edge of dawn,
All vanished now, like whispers in the night,
Long buried deep beneath the weight of earth.

No longer do they pierce my heart with pain,
Those wounds that once did throb with bitter ache,
A suffering that seemed to stretch for ages,
Yet here I stand, untouched by such despair.
The scars, once vivid, now have dulled to naught,
And memories, like shadows, fade away.

They linger not, for perhaps they held no worth,
Or perchance they were but phantoms of the mind,
An illusion spun from threads of fleeting dreams,
Now cast aside, like autumn leaves in flight.

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12 OCT 2024 AT 16:39

Individuals do not descend into madness; rather, they find themselves burdened by the weight of unexpressed traumas and anguish. These haunting memories linger, overshadowing their existence, until all that remains is the chilling echo of their past, rendering their world a desolate place.

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26 SEP 2024 AT 10:08

उस पहाड़ को ढकती धुंध ने
ढक दिया था मुझे भी
जैसे सब कुछ भूल जाने के लिए
कोई खो जाना चाहते हो,
और बरसात की ये झड़ी
धो देना चाहती हो,
कैनवास पे पड़े हर उस रंग को
जहां तुम्हारी यादें थी,
और दूर तक बिखरा ये सन्नाटा
भीतर के शोर भी
शांत कर देना चाहता था,
हर टूटा हिस्सा
बिखर जाना चाहता था इन हवाओं के साथ
कहीं दूर,
ले कर तुमसे जुड़ा हर एहसास
इतनी दूर की जहां से तुम्हारी याद
कभी वापस ना आ सके।

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26 AUG 2024 AT 15:24

If I rise, I’ll seize the day,
And if I thrive, it’s my own way.
With a heart ablaze, I’ll adore,
Love you fiercely, though you may soar.
With my gaze, I’ll pierce the night,
Staring down Lucifer, ready to fight.
I’ll snatch the shadows, claim what’s mine,
I’ll reign like a king, in power I’ll shine.
For I’ve shed the past, left it to rot,
In this grand game, I’ll take my shot.

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