A. Luxmi  
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भीड़ से अलग रहती हूं लिखने ✒का शौक रखती हूं .....
Joined 18 October 2020


भीड़ से अलग रहती हूं लिखने ✒का शौक रखती हूं .....
Joined 18 October 2020
13 MAR 2022 AT 10:27

"मेरा सब्र तो देखो" जिससे खुदा ही हैरान है
इंसान तो खामख्वाह ही परेशान है...

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10 MAR 2022 AT 9:19

किसी के हार और जीत का,आपको क्या है करना ?
आप तो सुबह जहां थे, शाम को भी वही है रहना ...

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8 MAR 2022 AT 17:16

जितना मैं लिखने का शौक रखती हूं
काश उतना पढ़ने का भी रखती
तो अब तक "LBSNAA" में दाखिला
कब का ले ली होती...

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8 MAR 2022 AT 10:22

(My first poem nov 2019)
Part-1
तू ही हर बार कसूरवार क्यों है?
तेरे ही हर किरदार में इम्तिहान क्यों है?
तु सबको समझती है
पर तुझे समझने वाले कहां है ?
कभी-कभी तो खुद को भी
समझती कहां है?
रिश्ते बचाने के लिए तू ही
हर बार कुर्बान क्यों है?
तेरे ही हर किरदार मे.....
ये पराए घर जाएगी, ये पराए घर से आई है
इन दो बातों के बीच में,तेरे जीवन की सच्चाई है
इन दोनों घरों के लोगो में,जब आज भी तू पराई है
फिर भी तू सब पर, मेहरबान क्यों है?
तेरे ही हर किरदार मे,इम्तिहान क्यों है?
Happy women's day 2022

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8 MAR 2022 AT 9:58

एक औरत को यूं ही कोई बेवकूफ नहीं बना सकता
पर गोरा करने वाली क्रीम की बात ही कुछ और है🙎‍♀️👱‍♀️🤷‍♀️
Happy women's day 2022

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28 FEB 2022 AT 22:27

जिस दिन मेरे होठों पे तेरा नाम ना हो
मेरे जीवन में ऐसी कोई शाम ना हो
मुझ पर कृपा इतनी रखना मेरे भोले
मेरी भक्ति का कोई दाम(priceless) ना हो।।


जिसने छोड़ दी महलों की सारी निशानी
वो नहीं होंगी कोई आम सी दीवानी
जिसने स्वयं महादेव को पाने की ठानी
वो तो खुद ही हैं, सारे संसार की महारानी
#Happy mahashivratri2022

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25 FEB 2022 AT 9:12

सब के सब हो कामिल क्या ?
"जंग से आखिर हासिल क्या?"
जीतेगा तो कोई एक ही
पर बर्बादी और तबाही होगी सबकी।।

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24 FEB 2022 AT 22:55

ये जिंदगी बस नाम की होती हमारी है....
अपनी ही मनमानी करवाती हमसे उम्र सारी है....

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15 FEB 2022 AT 10:38

बाज़ार से ख़रीदा जा सकता तो
मै कुछ ज़िन्दगीया खरीद लाती......

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9 FEB 2022 AT 6:29

एक आँसू रात भर का हो,
तो चलो बर्दाश्त किया जाए
पर जो आँसू उम्र भर का हो
उसका क्या किया जाए?

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