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हर बार मोहब्बत में मिठास हो मुमकिन नहीं,
एक जैसे ही जज़्बात हो मुमकिन नहीं,
गिले भी हो शिकवे भी रहे सब साथ साथ,
नफरतों में भी बस प्यार हो मुमकिन नहीं।-
निगाहें निगाहों से मिलाओ सनम,
मय अपने लबों से पिलाओ सनम,
दिखाऊं तुम्हें तुम हो दिल में बसे,
जरा मेरे करीब तो आओ सनम।
रात हुई जवां चांद भी है यहां,
वापस यहां से न जाओ सनम।-
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में आता व्रत महान,
रख जिसे माँ पार्वती से नारी पाती है वरदान।
पति की लंबी आयु खातिर पत्नि रखती है उपवास,
करती सोलह श्रृंगार बनाती इस दिन को यह खास।
चांद के दर्शन किए बिना न होता व्रत यह पूर्ण,
इतराए इस दिन चांद भी निर्मोही निर्गुण।
झलक दिखाए चंदा जी कभी बादल में छिप जाए,
एक झलक पाने को इसकी नारी पागल हो जाए।
देख चांद को छलनी से फिर पति के दर्शन पाती,
जल पीकर पिया हाथ से व्रत को पूर्ण बनाती।
करवा चौथ का हर नारी के जीवन में उत्तम स्थान,
शक्ति इसकी जग सारा माने क्या देव क्या इंसान।-
प्रेम की अपनी कहानी लिखूं,
तुमको कृष्ण खुदको राधा रानी लिखूं।
लिखूं मीरा के गीतों में तुमको कन्हैया,
नाम तेरे मैं अपनी ज़िंदगानी लिखूं।
जुदाई में बहते अश्रु को मैं अपने,
क्यों न इनको यमुना का पानी लिखूं।-
जबसे मेरे यार पर लोगो का पहरा हो गया,
तबसे प्यार मेरा और भी गहरा हो गया।
एक हुस्न-ए-दीदार पाने के खातिर जिसके,
इंतज़ार में कटी कई रातें और सवेरा हो गया।
जो मोहब्बत से तोबा किया करते थे सनम,
दिलो में उनके इश्क़ का सहरा हो गया।-
जिंदगी तुझे जीने का तरीक़ा आ गया,
समझने में इसे हमे पसीना आ गया,
बात बहुत छोटी मगर गहरी है मेरे यारां,
सिखा वो जिसे मरने का सलीक़ा आ गया।-
चेहरे पे अपने जो हिजाब रखते है,
सितमगर ऐसे हैं आंखो में शराब रखते है।-
वो मुझे अपने जीवन का आधा हिस्सा दे गया,
खुशी मेरी लेकर ग़मो का अपने किस्सा दे गया।-