(He/She)
लिहाज़ करूं तेरी बातों का ?
या अपने दिल का शोर सुनूं ?
वाक़िफ हो जाऊं इस चुप्पी से?
या ख़ुद के डर को तोड़ चलूं ?
कुछ तो उलझन में हूं शायद,
नहीं पता किस ओर चलूं ?
अब सब कहना होगा तुमको...
या फिर मैं "उस ओर" चलूं ?
(She/He)
कर सके तो कर ले इज्ज़त,
दिल की बातें साझा कर,
हूं शायद फ़िक्र में तेरे हीं,
तू बात थोड़ी अब ज्यादा कर,
उलझन की सोची हीं क्यूं है?
बस एक कदम तू आगे बढ़,
हमेशा हूं मैं साथ तेरे हीं,
अब मन पर अपने काबू कर ।
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