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yoyoanisingh28@gmail.com
Joined 21 October 2017


yoyoanisingh28@gmail.com
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18 DEC 2023 AT 13:25

अनंत प्रश्नों का सिर्फ एक ही उत्तर:
अंत ही आरंभ है,
वासना ही मोह है,
इच्छा ही लालच है,
अपेक्षाएं ही दुःख है,
समझ ही ज्ञान है,
और
एकांत ही सुख है ।
जीवन का यही सम्पूर्ण सार है ।।

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15 NOV 2022 AT 17:38

सुकून को जुनून के सिरहाने रख कर,
ख्वाहिशों कि फ़ेहरिस्त लेकर चला हूं;
भर लूं बाहों में अपने ये आसमान सारा,
सपने भी ऐसे हीं कुछ ले कर चला हूं;
ठहरा हूं थोड़ा जो अगर किनारों पर कभी,
हिम्मत और हौसले को भरने रुका हूं;
देखा है जबसे तूझे और नज़रें मिली हैं,
मिली है मंजिल मुझे, मैं मंजिल से जा मिला हूं ।

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3 NOV 2022 AT 23:47

भरोसे का नगमा कुछ इस क़दर रूह में बस जाता है,
मानो आंख बन्द करके जीने को जी चाहता है,
फ़र्क नही पड़ता इसे किसी बात का जब साथ होते हो...
बस जी भर कर जीने को जी चाहता है ।

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3 NOV 2022 AT 1:26

मैं तो चाहता हूं कि तू मुझे परेशान कर,
ख्वाहिश है मेरी - थोड़ा तो नुकसान कर,
हम तो बस अपनी कहानी बयां कर रहे,
तू अपना सच बोले, मैं अपना सच बोलूं ...
चल कुछ ऐसा इंतज़ाम कर ।

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3 NOV 2022 AT 1:08

लम्हें तो रेत की तरह फिसल जाते हैं मुट्ठी से,
कुछ करना हो तो भी लम्हों का हीं इंतजार होता है,
कभी बिना सोचे खर्च करो जो इनको,
कभी आराम तो कभी इश्क़ मिलता है।

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3 NOV 2022 AT 0:54

काला रंग जचता है तुम पर,
जचती वो छोटी सी बिंदिया भी है,
आंखो का काजल भी जचता बहुत,
और मुस्कुराहट लगती थोड़ी अपनी सी है ।

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3 NOV 2022 AT 0:43

बीत जाने दो कुछ लम्हों को,
कुछ लम्हों को संजो कर रख लो,
ज़िंदगी में हर पल महंगी है,
जो समेट सको तो सारे समेट लो ।

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26 OCT 2022 AT 0:47

(He/She)
लिहाज़ करूं तेरी बातों का ?
या अपने दिल का शोर सुनूं ?
वाक़िफ हो जाऊं इस चुप्पी से?
या ख़ुद के डर को तोड़ चलूं ?
कुछ तो उलझन में हूं शायद,
नहीं पता किस ओर चलूं ?
अब सब कहना होगा तुमको...
या फिर मैं "उस ओर" चलूं ?

(She/He)
कर सके तो कर ले इज्ज़त,
दिल की बातें साझा कर,
हूं शायद फ़िक्र में तेरे हीं,
तू बात थोड़ी अब ज्यादा कर,
उलझन की सोची हीं क्यूं है?
बस एक कदम तू आगे बढ़,
हमेशा हूं मैं साथ तेरे हीं,
अब मन पर अपने काबू कर ।

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18 OCT 2022 AT 23:24

सीरत और सूरत कि बातें मुझसे न पुछ,
उनकी बातों और मुस्कुराहट पर दिल हार बैठा हूं ।

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10 OCT 2022 AT 12:14

शिकायतों से - रिवायतों से सदा दूर रखना खुद को,
सफरनामे के पन्नो पर हमेशा मौजूद रखना खुद को,
जो सांसे टूट भी जाती हैं तो क्या हुआ?
अपने सपनो की उड़ान में हमेशा बुलंद रखना खुद को ।

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