A C 'राही'   (©Akshay Charde "राही")
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Birth date: 06/11/1995
Instagram: @iacr_online
Facebook: Akshay Charde
Joined 20 August 2017


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4 MAY AT 20:36

एहसास वो हैऺ 'राही',
जो ख़ुद कि ग़लती का जमीं पर रहकर देखोगे तो ही होता हैं
दुसरों कि ग़लती का खुर्सी या बड़े ओहदे पर होता हैं और
किसी कि ईमानदारी का तो लोगों को खुली ऑऺंखों से भी नहीं होता हैं।

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4 MAY AT 20:14

एक दिन के एक पहर ने
चंद पलों में दिखा दिये हैं
एक साल के तीन मौसम,
उम्मीद की धूप
मेहनत की थंडक 'राही' और
दोगले लफ़्ज़ों से होती बेमौसम बरसात।

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10 DEC 2024 AT 20:40

ऐसा है, मेरे सिर्फ खड़े होने से लोग जलभून रहे हैं,
नज़रों से आग उगल आपस में कर गुनगुन रहे हैं।

जुगनुओं को रात के अँधेरे से डराने कि कोशिश में,
'दो नंबरी' कर हिरो मिथुन 'सूरज' का बन रहे हैं।

@Akshay Charde 'राही'

कुछ बचकानों कुछ मस्तानों कुछ दस्तानों को लिये,
बनी फ़ौज में समझ ख़ुद को कृष्ण औं अर्जुन रहे हैं।

मालिक के कहने पर बच्चे बड़ों को कुछ भी बोल रहे,
फिर नशे में आँख मिलाकर खड़े-खड़े ही तन-फन रहे हैं।

सब खाते अपने 'कर्मयोग' से फिर 'राही' से जलना क्यों,
मेरे बर्ताव में ही नहीं झगडा मेरे संस्कार जो करूण रहे हैं।

लेकिन फिर भी,
ऐसा है, मेरे सिर्फ खड़े होने से लोग जलभून रहे हैं।

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13 JUN 2024 AT 20:07

अडकून राहलं कुठे तर
स्वतंत्र काय हे कळणार नाही,
आतून निघाल्या शिवाय
बाहेरचं जग काही दिसनार नाही.

काय करावं काय नको हे
उजेड दिसल्याशिवाय समजनार नाही,
उजेड दिसल्यावर डोळे उघडे 'राही' तर बरं
कारण
अंधारात जीवन जगता येणार नाही.

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13 JUN 2024 AT 19:52


जब हुई वो मुलाकात जाने-अनजाने,
तब से उन्हीं पर इन नज़रों के निशाने।
उन्हीं से हैं भोर के इश्क़े नगमे सुहाने,
उन्हीं से शाम की बांसुरी के मधुर गाने।
वहीं आसरा दुःख में जो आयें सुख देने,
वो है मुस्कान जो आती तनाव दूर करने।
बागों में जैसे है तितली रानी के तराने,
वैसे उनके किस्सों में छिपे हंसी के बहाने।
उनकी
तारीफ करें 'राही' तो लगेगा दिन ढलने,
नसीब का खेल या कहो चित्रगुप्त की चतुराई
हम ना तैयार थे गुरु जैसे को तैसा पाने।
अब करे क्या जब,दिल की बात दिल ही जाने,
ये सरफिरा आवारा आशिक किसी की ना माने।

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1 JUN 2024 AT 22:43

उनके तमाम झूठे वादों-कसमों-इरादों को
अपना समझ बैठे थे हम,
चलती पूरब से उत्तर सभी हवाओं को
अपना समझ बैठे थे हम।
उस पूराने खंडहर को मकान मजबूत
अपना समझ बैठे थे हम,
हर उडती मुसीबत को लेते सिर उन्हें
अपना समझ बैठे थे हम।

उनके लिए हर हद तक जा उन्हें भी तो
अपना समझ बैठे थे हम,
पीने का शौक ना था पर फिर भी जाम को
अपना समझ बैठे थे हम।
हम उनके थे या 'राही' से महफिल उनकी
जो भी था अपना समझ बैठे थे हम,
और
आज तो छोड़ो तब भी हम उन्हें याद न थे
फिर भी उन्हें अपना समझ बैठे थे हम।

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30 MAY 2024 AT 22:36


त्या आठवणींच्या जगात रहायला चला जाऊ,
ह्या डोळ्यांच्या कोनात वास्तव लपवून ठेऊ.
पण
मनाला हवं तसं जीवन कल्पनांमध्येच 'राही',
खऱ्या जीवनात नशीबीचे भोग च भोगत राहू.

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30 MAY 2024 AT 22:17

मैं हूँ चंदा तुमहो रात
तुम बीन बुरे मेरे हालात
तुम्हारी कमी से बिगड़ती बात
तुम्हारे बोलने से बन जाती है बात
चुप्पी तुम्हारी हमसे छिपाती है जज़्बात
तुमसंग होगा अंत क्योंकि तुम ही थी शुरुआत
था, हैं और रहेगा ज़रूरी एक दुसरे का साथ
मानों या ना मानों हो मुझबीन तुम अधुरी
'राही'तुमसे आबाद तुम मुझसे हो पूरी
ख़ुदा भी ना सहेगा हमारे बीच दूरी
मैं तुम्हारा हीरा तुम हो जौहरी
है पता तो क्यों ये फितूरी

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27 MAY 2024 AT 22:00

जो ना करना वो कर आ जाता है,
मुमकिन हर हद तक चला जाता है।
कृष्ण की बांसुरी राधा के कर्णो तक,
ले जा प्रेम धुन मिठी सुना जाता है।

पार्वती का क्रोध भोले की लीला से,
श्रीगणेश को गजरुप दिया जाता है।
प्रभु श्रीराम
की मर्यादा संग माँ सीता का त्याग,
लवकुश द्वारा रामायण सुनाया जाता है।

हर इक कहानी में है 'राही' मन-मुटाव,
पर वक्त के साथ हर ज़ख्म भरा जाता है।

और फिर बेचारा दिल मान ही जाता है।

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26 MAY 2024 AT 23:51

जिसे मिले प्यार वो हँसता है,
जिसे ना मिले प्यार वो रोता है।
जो रहता अकड में वो खोता है,
जो रहता जमीन पर वो पाता है।
जो जज़्बात प्यार के लिखता है,
वो आँखें मुहब्बत की पढता है।
जो बीज नफरत का बोता है,
वो फल पापरस का खाता है।
जो निस्वार्थ सेवाभाव जानता है,
उसे पुण्यरूपी मेवाफल मिलता है।
जो सदा हर किसीका मदतगार रहता है,
वो सभी की दुआओं का पात्र होता है।
आखिरकार वहीं बात है 'राही',
हर रिश्ता प्यार का होता है।

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