"समझोगे नहीं शल्य इसको, यह करतब नादानों का है,
यह खेल जीत से बड़े कि़सी मकसद के दीवानों का है ।
जानते स्वाद इसका वे ही जो सुरा स्वप्न की पीते हैं,
दुनिया में रहकर भी दुनिया से अलग खड़े जो़ जीते हैं।"-
मुझे 'रोता हुआ' देखना, जो भी चाहते हैं,
ऐसा हरगिज़ नहीं होगा, वो ये भी जानते हैं;
फिर भी हर रोज लगे हैं मुझे गिराने में,
दुश्मन भी तो मेरे हैं, हार भी कहा मानते हैं।।-
राग भैरवी सुनने वाले, आलाप लगाते देखे हैं;
गिरगिट से भी ज्यादा, मैंने, रंग बदलते देखे हैं;
जो बादशाह थे सट्टो के, जोकर पे लुटते देखें है;
लोग भतेरे दुनिया में, भात-भात के देखे हैं।
तुम अचरज इतना क्यों करते हो,
नाम बदलने की छोड़ो, मैंने बाप बदलते देखे हैं।।
गिरगिट से भी ज्यादा, मैंने, रंग बदलते देखे हैं;
शुद्ध पानी के फूल मैंने, कीचड़ में खिलते देखे हैं।
"वक्त की मार" है अनोखी बाबू,
सीना ताने रहने वाले, घुटनों पर चलते देखे हैं।।-
दो कदम चलें है अभी, और भी चलते जाएंगे;
मुकाम है सुदूर भले, सने से छूते जाएंगे;
बस जन्मदाता सदैव संग रहे,
असंभव भी संभव कर पाएंगे।।-
दोस्त वो,
जो आपके विचारों से मेल खाते हों,
दुश्मन वो,
जो आपके काम और विचारों के खिलाफ हो;
रिश्ते(दार) वो,
जो आपको यथास्थिति एवं हर परिस्थिति में स्वीकारे।।
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जब से तेरी पलकों की कालिख़ काजल़ हो गई,
मेरी कलम से निकली हर अक्षर ग़ज़ल हो गई..-
आपका तकलीफ़ में भी मुस्कुराना,
'आपके'
विरोधियों को तकलीफ़ में ला देता है
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हर बार कोई सुरज,
रास्ता रोक लेता है;
कुछ रोशन हुआ ही क्या,
वो सकल तिमिर सोख लेता है;
महज एक जुगनू हूं,
हिस्से बहुत अंधेरा है;
इसे मिटाने का जिम्मा,
सिर्फ मेरा है;-
महज़ नयनों से की जो बातें;
मिलकर मन ही मन जो मुस्कुराते;
जिसके मिलने से चांद-तारे थे ठहर जाते;
गैर हाजरी में हमारे जो एक पल भी ना जी पाते;
लिख दिया है अफसाना हमारा आप ही पढे,
उसने तो ब्लॉक किया है हमें महीनों से,
फिर भला उससे यह सब कैसे कहते।।-