राहत की सांस और दिल का सुकून इसी से
न प्यार, न मोहब्बत, न दोस्ती किसी से-
किसी नशे की तरह, सिर से उतार देंगे तुम्हे
मेरे अलावा कोई और हुआ, तो मार देंगे तुम्हे-
ज़रूरी थी आशिक़ी, मोहब्बत को भुलाने को
तड़पता कोई जिस्म, ज़रूरी था लुभाने को
मर गया होता गर, बिगड़ा न होता मैं
फूल बन कर आया था कोई, तमाम कांटे चुभाने को-
ज़रूरी नहीं ज़रूरत में ही ,कोई काम आए
ज़रूरी नहीं अच्छा करने का, कोई इनाम आए
तुम बने ही हो ,कुछ न कुछ करने के लिए
कुछ ऐसा करो ,कि अखबारों में तुम्हारा नाम आए-
मिल जाए तुम्हे वो, जिसकी तलाश में हो तुम
खैर मेरे लिए आज भी , उसी काश में हो तुम-
वो जैसा भी हो अपने ईमान का है
मेरे लिए थोड़ा सा बेईमान सा है
वो लिखता है आज भी सिर्फ़ मेरे लिए
मैं धड़कन उसकी,वो मेरे लिए जान सा है-
मैं लिखता गया ,कोई बोलता रहा मेरे अंदर में
और लिखते लिखते आ गया, मैं शब्दों के समंदर में
वो एक क़ातिल है, जिसे तुम शायर समझते हो,क्योंकि
ज़्यादा फ़र्क नहीं होता , क़लम और खंजर में-
झूठ प्रपंच का शोर नहीं, मुझे वीरान बना दो
मोह माया से दूर मुझे, शमशान बना दो
बना दो मुझे वो पत्थर,जिसे पूजे लोग
मुझे इंसान नहीं अब अपनी तरह, भगवान बना दो-
बहुत कम है जो दिल के करीब रहते है
बिन सनम, आशिक़ ग़रीब रहते है
समझ आए तो समझना तुम मुझे
कुछ रिश्ते सनम, ऐसे ही अजीब रहते है-