ये इश्क़ भी कितने कमाल की बातें हैं, परिंदा पिंजरे में रहता है और फ़र्फ़राता भी नहीं, कहने को तो दरमियाँ सिर्फ़ इश्क़ रहती है, लेकिन शख़्स सिर्फ़ दिमाग़ लगाता है, दिल लगता ही नही…
जिंदगी की असलियत जिंदगी भर साथ चल कर पूछना, अगर चल सको तो जिंदगी के बाद चल कर पूछना, कितनी हसीन थी वो रातें ये सब पूछते हैं, अगर पूछ सको तो तुम बस वो तनहा रातें पूछना।
वैसे तेरी खूदारी को भी माननी परेगी, मेरी खुशबू से लिपट कर भी तू अनजान सा रहता है, मैं तुझसे दूर रहें कर भी इश्क में रहेता हूँ, तु इतनें पास रहे कर भी बेनाम सा रहता है।